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Monday, June 16, 2025

मौसम विभाग का 150वाँ स्थापना दिवस मनाया , मिशन मौसम का हुआ शुभारंभ

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) जैसी संस्थाएं काम करती हैं. ये संस्थाएं देश के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं. और इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को मौसम विज्ञान विभाग के 150वें स्थापना दिवस को मनाया।

इस अवसर पर देश को प्रत्‍येक मौसम और जलवायु का सामना करने के लिए ‘स्मार्ट राष्ट्र’ बनाने के मकसद से ‘मिशन मौसम’ की शुरुआत की गई। दिल्ली में भारत मंडपम में आयोजित समारोह में शिरकत करते हुए प्रधानमंत्री ने IMD के 150वें स्थापना दिवस पर एक स्मारक सिक्का और मौसम संबंधी अनुकूलता और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए IMD विज़न-2047 दस्तावेज भी जारी किया है.

इसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन की योजनाएं को शामिल किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में IMD की उपलब्धियों पर आधारित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के 150वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “किसी भी देश के वैज्ञानिक संस्थानों की प्रगति विज्ञान के प्रति उसकी जागरूकता को दिखाती है. वैज्ञानिक संस्थाओं में अनुसंधान और नवाचार नए भारत के स्वभाव का एक हिस्सा है. इसलिए पिछले 10 वर्षों में IMD की आधारभूत संरचना और तकनीक का भी अभूतपूर्व विकास हुआ है. भविष्य में भारत मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बने इसके लिए हमने ‘मिशन मौसम’ भी लॉन्च किया है.”

उन्होंने आगे कहा, “मौसम विज्ञान किसी भी देश की आपदा प्रबंधन क्षमता का सबसे जरूरी सामर्थ्य होता है. प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम से कम करने के लिए हमें मौसम विज्ञान की कार्यकुशलता को अधिकतम करने की आवश्यकता होती है. भारत ने लगातार इसकी अहमियत को समझा है. आज हम उन आपदाओं की दिशा को मोड़ने में कामयाब हो रहे हैं जिन्हें पहले नियति कहकर छोड़ दिया जाता हैं।

दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाले इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को मुख्य रूप से भारतीय IMD, Indian Institute of Tropical Meteorology और राष्ट्रीय मध्यम Weather Bureau की अवधि द्वारा किया जाएगा. मिशन मौसम से कृषि, आपदा प्रबंधन, रक्षा, पर्यावरण, विमानन, जल संसाधन, बिजली, पर्यटन, शिपिंग, परिवहन, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों को सीधे लाभ होगा. साथ ही, इससे शहरी नियोजन, सड़क और रेल परिवहन और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में डेटा आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी वृद्धि होगी.

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