आज ही के दिन, 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका को हराकर वनडे वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम किया था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस ऐतिहासिक फाइनल मैच में एमएस धोनी की कप्तानी में भारत ने 275 रनों का पीछा करते हुए छह विकेट से जीत दर्ज की थी। धोनी के नाबाद 91 रनों की पारी और उनके आखिरी छक्के ने इस मैच को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।
फाइनल का रोमांच: जब सहवाग और सचिन हुए आउट
श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगाकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। महेला जयवर्धने ने शानदार शतक (103 रन) लगाकर टीम को 274 के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया। भारत के लिए जहीर खान और युवराज सिंह ने 2-2 विकेट लिए।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही। वीरेंद्र सहवाग, लसिथ मलिंगा की दूसरी गेंद पर बिना खाता खोले एलबीडब्ल्यू आउट हो गए। इसके बाद मलिंगा ने सचिन तेंदुलकर (18) को भी चलता किया। भारत का स्कोर 31/2 हो चुका था और भारतीय फैंस की धड़कनें तेज हो गई थीं।
गंभीर और धोनी ने दिलाई जीत
इसके बाद गौतम गंभीर ने विराट कोहली (35) के साथ मिलकर 83 रनों की साझेदारी की। कोहली के आउट होने के बाद धोनी खुद बैटिंग के लिए उतरे और गंभीर के साथ 109 रनों की साझेदारी निभाई। गंभीर ने 122 गेंदों में 97 रन बनाए और मुथैया मुरलीधरन की गेंद पर स्टंप आउट हो गए।
इसके बाद धोनी और युवराज सिंह ने पारी को संभाला। 79 गेंदों पर 91 रन बनाकर धोनी ने नुवन कुलसेकरा की गेंद पर छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद दूसरी बार वर्ल्ड कप चैंपियन बना दिया। जीत के बाद भारतीय खिलाड़ी मैदान पर ही खुशी के आंसू बहाने लगे।
2011 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की प्लेइंग 11: वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, विराट कोहली, एमएस धोनी, युवराज सिंह, सुरेश रैना, हरभजन सिंह, जहीर खान, मुनाफ पटेल, श्रीसंथ।
इस जीत के बाद भारत में जश्न का माहौल था। सड़कों पर लोग उतर आए और दिवाली जैसा उत्सव मनाया गया। यह खिताबी जीत भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुकी है।
