16.1 C
Delhi
Thursday, December 18, 2025

अमेरिका में भारतीय छात्र की गिरफ्तारी: हमास से संबंध का आरोप, डिपोर्टेशन की संभावना

अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र, बदर खान सूरी, को अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है।

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -

अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र, बदर खान सूरी, को अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी एक ऐसे समय में हुई है जब ट्रंप प्रशासन ने अपने आतंकवाद-रोधी अभियान को तेज किया है और ऐसे व्यक्तियों पर कार्रवाई कर रहा है, जिन पर अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करने और आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप है।

बदर सूरी पर आरोप है कि उन्होंने हमास नामक फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन से संबंध बनाए रखे और सोशल मीडिया पर हमास का प्रचार किया, साथ ही यहूदी विरोधी सामग्री भी फैलाई। अमेरिका हमास को एक आतंकवादी संगठन मानता है, और उसकी गतिविधियों को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।

गिरफ्तारी और आरोपों की जानकारी

बदर खान सूरी, जो जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में फेलो हैं, को 15 मार्च को वर्जीनिया के रॉसलिन इलाके में उनके घर के बाहर गिरफ्तार किया गया। अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने सूरी से कहा कि उनके खिलाफ वीजा रद्द करने का आदेश जारी किया गया है, क्योंकि उनकी गतिविधियां अमेरिकी विदेश नीति को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

अमेरिकी सरकार का कहना है कि सूरी सोशल मीडिया पर हमास के समर्थन में सामग्री फैलाते थे और इस्लामिक आतंकवादी विचारधाराओं को बढ़ावा दे रहे थे। वहीं, सूरी के वकील ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनके मुवक्किल पर बिना किसी ठोस सबूत के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि सूरी को केवल इस कारण निशाना बनाया जा रहा है कि उनकी पत्नी, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं और फिलिस्तीनी मूल की हैं, ने फिलिस्तीनी अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाई थी।

अमेरिकी प्रशासन का आरोप और ट्रंप का बयान

ट्रम्प प्रशासन ने इस गिरफ्तारी को अपनी आतंकवाद-रोधी नीति का हिस्सा बताते हुए कहा है कि यह कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ है जो अमेरिकी विदेश नीति के विरोध में आतंकवादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। वाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ, स्टीफन मिलर ने भी कहा कि सूरी का कार्य “अमेरिकी विदेश नीति के लिए खतरा” था।

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान दिया कि सूरी के कृत्य उसे निर्वासन योग्य बना देते हैं, क्योंकि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियाँ की हैं। इसके अलावा, अमेरिकी आव्रजन विभाग ने सूरी पर आरोप लगाया कि उनका कोई अपराध रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन उनकी गतिविधियाँ और उनके संपर्क संदिग्ध आतंकवादी संगठनों से थे।

बदर सूरी की स्थिति और कानूनी लड़ाई

बदर सूरी और उनके वकील इस गिरफ्तारी और वीजा रद्द करने के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। उनके वकील का कहना है कि सूरी पर लगे आरोप झूठे हैं और उन्हें केवल राजनीतिक कारणों से परेशान किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सूरी की पत्नी, मेफ़ेज़ सालेह, जो फिलिस्तीनी मूल की हैं, पर भी हमास से संबंध रखने का आरोप लगाया गया है, और उन्होंने एक बार अल जज़ीरा के लिए काम किया था।

इस मामले ने अमेरिकन संविधान के पहले संशोधन की चर्चा को भी जन्म दिया है, जो नागरिकों को स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार देता है। सूरी के वकीलों का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन इस अधिकार का उल्लंघन कर रहा है, क्योंकि यह कार्रवाई राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ हो रही है।

एक और भारतीय छात्र का मामला

यह पहला मामला नहीं है, जब अमेरिका में किसी भारतीय छात्र को इसी तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। हाल ही में, कोलंबिया यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा रंजनी श्रीनिवासन को भी फिलिस्तीनी अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन करने के कारण अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। रंजनी पर भी हमास से संबंध रखने और आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था।

यह दोनों मामले एक ही ट्रेंड को दर्शाते हैं, जिसमें अमेरिकी प्रशासन उन छात्रों और शोधकर्ताओं को निशाना बना रहा है, जो फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करते हैं या अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ खड़े होते हैं।

अमेरिका में बढ़ती असहमति

अमेरिका में इस तरह की कार्रवाइयाँ एक नई बहस को जन्म दे रही हैं। एक तरफ, ट्रंप प्रशासन इन कार्रवाइयों को अमेरिकी सुरक्षा के हित में बताते हुए आतंकवाद-रोधी नीति का हिस्सा मान रहा है, वहीं दूसरी ओर नागरिक अधिकारों के संगठन और मानवाधिकार समूह इन कार्रवाइयों को असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ मानते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से अमेरिका में राजनीतिक असहमति और आलोचना की आवाज़ें दब सकती हैं, जिससे लोकतंत्र की बुनियादी व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसके साथ ही, यह भी सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई केवल उन व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए की जा रही है, जो अमेरिकी सरकार की विदेश नीति के खिलाफ खड़े होते हैं।

बदर सूरी की गिरफ्तारी और उनके वीजा रद्द होने का मामला एक संकेत है कि अमेरिका में विदेश नीति और आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों के चलते राजनीतिक असहमति को कैसे दबाया जा सकता है। यह मामला न केवल सूरी के लिए, बल्कि अमेरिका में पढ़ाई कर रहे अन्य छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक बड़ा सवाल है। क्या अमेरिकी प्रशासन अपनी सुरक्षा और विदेश नीति के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है? यह सवाल अब पूरी दुनिया के सामने है और इसका उत्तर आने वाले समय में मिल पाएगा।

आखिरकार, यह मामला अमेरिकी लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दों के बीच एक कठिन संतुलन को लेकर चल रही बहस का हिस्सा बन गया है।

- Advertisement -
Shreya Bhushan
Shreya Bhushan
श्रेया भूषण एक भारतीय पत्रकार हैं जिन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप के बिहार तक और क्राइम तक जैसे चैनल के माध्यम से पत्रकारिता में कदम रखा. श्रेया भूषण बिहार से आती हैं और इन्हे क्राइम से संबंधित खबरें कवर करना पसंद है
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!