दिल्ली में रविवार (15 सितंबर, 2025) को हुआ सड़क हादसा राजधानी में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। इस हादसे में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में उप सचिव पद पर तैनात 57 वर्षीय अधिकारी नवजोत सिंह की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी संदीप कौर गंभीर रूप से घायल हो गईं। हादसे के बाद सोमवार को पुलिस ने आरोपी महिला गगनप्रीत कौर को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर गैर-इरादतन हत्या और हादसे के बाद सबूत मिटाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार, नवजोत सिंह और उनकी पत्नी संदीप कौर रविवार शाम बंगला साहिब गुरुद्वारा से लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने कर्नाटक भवन में भोजन किया और फिर घर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान, उनकी बाइक को पीछे से तेज रफ्तार BMW कार ने टक्कर मार दी। कार गगनप्रीत कौर चला रही थीं। टक्कर इतनी जोरदार थी कि नवजोत सिंह की मौके पर ही हालत बिगड़ गई और बाद में उनकी मौत हो गई।
हादसे के बाद संदीप कौर ने पुलिस को दिए बयान में कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि हादसे के समय नवजोत की सांसें चल रही थीं और उन्होंने आरोपी महिला से नजदीकी अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई। लेकिन गगनप्रीत ने ऐसा करने के बजाय उन्हें करीब 19 किलोमीटर दूर GTB नगर स्थित NuLife अस्पताल ले जाने का आदेश दिया। संदीप का आरोप है कि गगनप्रीत के पिता इस अस्पताल के सह-मालिक हैं और वहां ले जाने का मकसद मेडिकल रिपोर्ट और सबूतों में गड़बड़ी करना था।
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि अस्पताल ले जाने के फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सभी नियमों के मुताबिक इलाज किया गया और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई। उन्होंने गगनप्रीत के परिवार का अस्पताल से कोई संबंध होने की बात की पुष्टि नहीं की है।
फिलहाल पुलिस ने गगनप्रीत को गिरफ्तार कर लिया है और पूरे मामले की गहन जांच चल रही है। पुलिस यह भी देख रही है कि कहीं इस पूरे मामले को दबाने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश तो नहीं की गई।
यह हादसा न केवल राजधानी की सड़कों पर बढ़ती लापरवाही को उजागर करता है बल्कि सवाल खड़ा करता है कि जब सड़क हादसों में गंभीर चोट लगती है तो पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाने की बजाय दूर ले जाने का क्या मकसद होता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस जांच में आगे क्या सच सामने आता है।