Agra Metro Rail Project: आगरा में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट 50% पूरा हो चुका है। डेवलपमेंट की नई लाइन खींच चुकी है, मगर मेट्रो ट्रेन 1700 घरों के लिए परेशानी का सबब भी बन चुकी है। जहाँ एक तरफ सुख सुविधाओ का दौर चल रहा है वहीं दूसरी ओर घरों पर ये संकट की तरह मंडरा रहा है…
घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं। 146 मकानों के छज्जे गिरने की कगार पर हैं। उनमें जैक लगाने की नौबत आ गई है। अनुमान है कि 10 हजार लोग इससे प्रभावित हैं। इसका असर सबसे ज्यादा मोती कटरा और सैय्यद गली पर दिखता नजर आ रहा है।
दोनों इलाके सटे हुए हैं। यहां घनी आबादी है। ज्यादातर घर पुराने पैटर्न पर बने हुए हैं। निर्माण 100 साल से ज्यादा पुराने हैं, इनमें बहुत से ऐसे घर भी दिखे, जिनके स्ट्रक्चर रेनोवेट कराए गए थे।
प्रभावित घरों के लोगो का कहना है कि पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर आदमी घर बनवाता है। अब अपनी आंखों से उनका ये हाल देख रहे हैं। अफसर आते हैं, मगर उन्हें हमारी भावनाओं से जुड़ी इन इमारतों से लगाव कहां? उन्हें सिर्फ लिखा-पढ़त और टेक्निकल बातें ही समझ आती हैं। हमारे परिवार दहशत में हैं।
दिया गया है 1800 करोड़ का ठेका
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसीएल) से ठेकेदार फर्म एफकॉन को करीब 1800 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। एफकॉन और यूपीएमआरसीएल की लापरवाही से जिन टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) से ड्रिलिंग करते हुए सुरंग खोदाई हो रही है। उन मशीनों से मोती कटरा क्षेत्र में जमीन कांप गई।
सुरंग की खुदाई … बना लोगो का सिरदर्द…
आगरा कॉलेज से मनकामेश्वर तक करीब 2 किमी. लंबी सुरंग खोदी जा रही है। मोती कटरा में सुरंग के ऊपर 1700 घर बने हुए हैं। जिनमें हजारों परिवार रहते हैं। सुरंग से खोखली जमीन के ऊपर बने 146 मकान टीबीएम के कंपन से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हजारों परिवार हादसों के कगार पर खड़े मिले। सुरंग खुदाई से 146 घरों में भारी नुकसान है
घरों की छत, दीवार, फर्श से लेकर कॉलम व बीम तक में क्रेक आ गए हैं। इन गिरासू घरों को धराशायी होने से रोकने के लिए मेट्रो ने जैक लगा रखे हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं। सुरंग की 20 मीटर परिधि में 700 और 50 मीटर की परिधि में 1700 से अधिक घरों के लिए सुरंग आफत बन गई है। फिर भी सुरंग खुदाई नहीं रुकी।
आगरा मेट्रो रेल परियोजना…. वरदान या घरों पर संकट
आगरा में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट 50% पूरा हो चुका है। डेवलपमेंट की नई लाइन खींच चुकी है, मगर मेट्रो ट्रेन 1700 घरों के लिए परेशानी का सबब भी बन चुकी है। जहाँ एक तरफ सुख सुविधाओ का दौर चल रहा है वहीं दूसरी ओर घरों पर ये संकट की तरह मंडरा रहा है..
घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं। 146 मकानों के छज्जे गिरने की कगार पर हैं। उनमें जैक लगाने की नौबत आ गई है। अनुमान है कि 10 हजार लोग इससे प्रभावित हैं। इसका असर सबसे ज्यादा मोती कटरा और सैय्यद गली पर दिखता नजर आ रहा है। दोनों इलाके सटे हुए हैं। यहां घनी आबादी है। ज्यादातर घर पुराने पैटर्न पर बने हुए हैं। निर्माण 100 साल से ज्यादा पुराने हैं, इनमें बहुत से ऐसे घर भी दिखे, जिनके स्ट्रक्चर रेनोवेट कराए गए थे।
प्रभावित घरों के लोगो का कहना है कि पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर आदमी घर बनवाता है। अब अपनी आंखों से उनका ये हाल देख रहे हैं। अफसर आते हैं, मगर उन्हें हमारी भावनाओं से जुड़ी इन इमारतों से लगाव कहां? उन्हें सिर्फ लिखा-पढ़त और टेक्निकल बातें ही समझ आती हैं। हमारे परिवार दहशत में हैं।
सुरंग की खुदाई … बना लोगो का सिरदर्द…
आगरा कॉलेज से मनकामेश्वर तक करीब 2 किमी. लंबी सुरंग खोदी जा रही है। मोती कटरा में सुरंग के ऊपर 1700 घर बने हुए हैं। जिनमें हजारों परिवार रहते हैं। सुरंग से खोखली जमीन के ऊपर बने 146 मकान टीबीएम के कंपन से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हजारों परिवार हादसों के कगार पर खड़े मिले। सुरंग खुदाई से 146 घरों में भारी नुकसान है
घरों की छत, दीवार, फर्श से लेकर कॉलम व बीम तक में क्रेक आ गए हैं। इन गिरासू घरों को धराशायी होने से रोकने के लिए मेट्रो ने जैक लगा रखे हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं। सुरंग की 20 मीटर परिधि में 700 और 50 मीटर की परिधि में 1700 से अधिक घरों के लिए सुरंग आफत बन गई है। फिर भी सुरंग खुदाई नहीं रुकी।