Farmer Protest: पंजाब और हरियाणा में किसानों की लड़ाई अपने चरम पर है। शंभू और खनौरी सीमाओं से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाए जाने के बाद, किसान मजदूर संघर्ष समिति के सतनाम सिंह पन्नू ने इस कार्रवाई के लिए केंद्र और पंजाब राज्य सरकार दोनों की निंदा की है। यह एक ऐसी लड़ाई है जो न केवल किसानों के अधिकारों के लिए है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों के सम्मान के लिए भी है।
सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एकजुटता
किसानों की मांगें जायज हैं और उन्हें सरकार द्वारा सुना जाना चाहिए। लेकिन इसके बजाय, सरकार ने किसानों को दमनकारी तरीकों से दबाने का फैसला किया है। शंभू और खनौरी सीमाओं से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने की कार्रवाई इसी का एक उदाहरण है। यह एक ऐसी कार्रवाई है जो न केवल किसानों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।
किसानों की मांगें और सरकार की नीतियां
किसानों की मांगें जायज हैं और उन्हें सरकार द्वारा सुना जाना चाहिए। किसानों की मांगें मुख्य रूप से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और किसानों के ऋण माफी से संबंधित हैं। लेकिन सरकार ने इन मांगों को सुनने के बजाय, किसानों को दमनकारी तरीकों से दबाने का फैसला किया है। यह एक ऐसी नीति है जो न केवल किसानों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।
सरकार की कार्रवाई और किसानों की प्रतिक्रिया
सरकार की कार्रवाई के बाद, किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के सतनाम सिंह पन्नू ने इस कार्रवाई के लिए केंद्र और पंजाब राज्य सरकार दोनों की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि सरकार की यह कार्रवाई किसानों के अधिकारों का उल्लंघन करती है और देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालती है। उन्होंने कहा है कि किसान अपनी मांगों के लिए लड़ते रहेंगे और सरकार को अपनी मांगों को मानना होगा।
सरकार को चुकानी होगी भारी कीमत
उन्होंने कहा कि हम मोदी सरकार के सहयोग से या उसके आदेश पर भगवंत मान सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई की निंदा करते हैं. भगवंत मान सरकार और मोदी सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. आज हम किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ हरियाणा और पंजाब में उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.