भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और वैश्विक स्तर पर आर्थिक हलचलों के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ने 2 मई 2025 को सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन की शुरुआत मजबूती के साथ की। शुक्रवार सुबह करीब 9:30 बजे सेंसेक्स 437.74 अंक (0.55%) की तेजी के साथ 80,679.58 पर पहुंचा, जबकि निफ्टी भी 93.35 अंक (0.38%) बढ़कर 24,427.55 पर कारोबार करता दिखा। इस प्रदर्शन से यह साफ है कि बाजार की धारणा अब भी सकारात्मक बनी हुई है।
हालांकि अमेरिका की ओर से टैरिफ बढ़ाए जाने और भारत-पाक सीमा पर बने तनाव को लेकर निवेशकों में आशंका थी, फिर भी बाजार ने अप्रत्याशित मजबूती दिखाई। अप्रैल महीने में सेंसेक्स में करीब 4% और निफ्टी में 3.46% की बढ़त दर्ज की गई। इस तेजी की बड़ी वजह विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में वापसी, बेहतर मानसून की उम्मीदें और भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में संभावित सुधार को माना जा रहा है।
अप्रैल के महीने में बाजार की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निवेशकों की कुल संपत्ति में 10.37 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। सेंसेक्स ने पूरे महीने में 2,827 अंक का उछाल दिखाया, जबकि निफ्टी ने 814 अंकों की बढ़त दर्ज की। यह लगातार दूसरा महीना है जब बाजार सकारात्मक रुख के साथ बंद हुआ है। मार्च में भी सेंसेक्स 5.76% और निफ्टी 6.30% बढ़ा था।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया के अनुसार, अमेरिका के टैरिफ निर्णयों में अस्थायी राहत और भारत के साथ व्यापारिक बातचीत की संभावना ने बाजार को मजबूती दी। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में बाजार में गिरावट के चलते स्टॉक्स के मूल्यांकन में नरमी आई, जिससे खरीदारी को बल मिला। लंबे समय तक बिकवाली के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने अप्रैल में भारतीय बाजार में शुद्ध खरीदार के रूप में वापसी की, जिससे निवेश धारणा को बल मिला।
इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में 0.25% की कटौती और नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ करने के फैसले ने भी निवेशकों को राहत दी। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के वी.के. विजयकुमार ने कहा कि “निफ्टी का इस माह तेजी से ऊपर जाना यह दर्शाता है कि बाजार संकट के समय भी लचीला रह सकता है और घबराने की जरूरत नहीं है।”
सिंघानिया का मानना है कि मई महीने में बाजार की दिशा कंपनियों के तिमाही नतीजों और भारत-पाक सीमा पर बनी स्थिति से तय होगी। साथ ही, निवेशकों की नजर अमेरिकी बाजार की हलचलों पर भी टिकी रहेगी, क्योंकि उनका असर भारत जैसे उभरते हुए बाजारों पर सीधा पड़ता है।
