प्रयागराज में Mahakumbh का आज अंतिम दिन है, और महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने Triveni Sangam में आस्था की डुबकी लगाई। विशेष रूप से विदेशी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला, जो भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर इस पावन स्नान में शामिल हुए।
ब्राजील से आए श्रद्धालु डेनियल ने इस अनुभव को “अद्भुत और अविस्मरणीय” बताया। उन्होंने कहा, “यह मेरी जिंदगी का सबसे खास अनुभव है। यहां के लोग बहुत ही मिलनसार और स्वागत करने वाले हैं। मैंने पहली बार महाकुंभ में हिस्सा लिया और यह मेरे लिए एक अद्भुत यात्रा रही।” उन्होंने यह भी बताया कि उनके बॉस ने 12 साल पहले कुंभ मेले की रिपोर्टिंग की थी, और तभी से उनकी इसमें रुचि जागी।
इसी तरह, ब्राजील से आए एक और श्रद्धालु काको बार्सेलोस ने कहा, “हमने यहां आने के लिए लंबी यात्रा की, लेकिन यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। यहां की ऊर्जा और लोगों की मुस्कान अद्भुत है।”
लंदन से आई एक महिला श्रद्धालु ने भी अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “इस जगह की ऊर्जा को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। चारों ओर भक्ति का माहौल है, लोग बहुत प्रेम से एक-दूसरे का स्वागत कर रहे हैं। मैंने अपनी बाकी सभी योजनाएं रद्द कर दीं ताकि इस पवित्र आयोजन में शामिल हो सकूं। यहां के रीति-रिवाजों को समझना मेरे लिए बेहद खास अनुभव है।”
महाशिवरात्रि के अवसर पर कई विदेशी श्रद्धालु वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचे, जहां उन्होंने ‘शिव तांडव स्तोत्र’ का पाठ किया और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे लगाए।
महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में भक्तिभाव से मनाया जाता है और शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस वर्ष यह पावन रात बुधवार को पड़ी, और अनुमान है कि एक मिलियन से अधिक श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के पहले अमृत स्नान से हुई थी। इसके बाद मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और माघी पूर्णिमा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। आज, महाशिवरात्रि के दिन अंतिम पवित्र स्नान के साथ महाकुंभ 2025 का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने इस अवसर को आस्था, भक्ति और आध्यात्मिक चेतना के साथ मनाया, जो आने वाले वर्षों तक उनकी स्मृतियों में बसा रहेगा।
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