6 जून 2025 शुक्रवार का दिन हिंदू धर्म के लिए अत्यंत शुभ और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा, जो योग और आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष माना जाता है। इस व्रत को रखना कठिन जरूर होता है क्योंकि इसमें पूरे दिन जल ग्रहण वर्जित रहता है, लेकिन इसके फलस्वरूप व्यक्ति को अनेक प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
इस दिन का पंचांग भी बेहद शुभ बताया गया है। सुबह का काल, दोपहर और शाम के समय के शुभ मुहूर्त व्रत, पूजा और अन्य धार्मिक क्रियाओं के लिए अनुकूल हैं। खासतौर पर इस दिन श्री लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है, जो धन, समृद्धि और खुशहाली की देवी मानी जाती हैं। शुक्रवार होने के कारण यह पूजा और भी प्रभावशाली मानी जाती है क्योंकि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है।
दिन के शुभ मुहूर्त निम्नानुसार हैं:
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दिन की शुरुआत होते ही प्रातः काल 6:00 बजे से शुभ मुहूर्त प्रारंभ होता है।
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चोघड़िया समय के अनुसार, सुबह के कुछ घंटे तथा दोपहर और शाम के कुछ घंटे विशेष रूप से शुभ माने गए हैं। चोघड़िया का उपयोग अपने कार्यों की सफलता के लिए समय निर्धारण में किया जाता है।
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इसके विपरीत, राहु काल और दिशा शूल जैसे कालों में कोई शुभ कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये समय अशुभ माना जाता है।
इस दिन के धार्मिक महत्व को देखते हुए लोग घर पर शुद्धता और नियमों का ध्यान रखते हुए पूजा-अर्चना करते हैं। निर्जला एकादशी के दौरान सभी भक्त उपवास के नियमों का पालन करते हैं और सूर्य देवता को जल चढ़ाते हैं। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा भी की जाती है क्योंकि एकादशी विष्णु जी की प्रिय तिथियों में से एक है।
साथ ही, इस दिन को ध्यान में रखते हुए कई स्थानों पर धार्मिक समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां श्रद्धालु एक साथ मिलकर भजन-कीर्तन, कथा वाचन और सामूहिक पूजा में भाग लेते हैं। इससे न केवल धार्मिक आनंद मिलता है, बल्कि सामूहिक श्रद्धा से वातावरण भी पवित्र बन जाता है।
आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। शुक्रवार और एकादशी के संयोजन से यह दिन सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और सेवा कार्य विशेष फलदायक होते हैं।
6 जून 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है। निर्जला एकादशी का व्रत, लक्ष्मी पूजा, शुभ मुहूर्त और उचित समय पर किये जाने वाले कार्य जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक प्रगति के द्वार खोलते हैं। इस दिन का सही उपयोग और धार्मिक आचार-व्यवहार आत्मा को शुद्ध करता है और भविष्य के लिए शुभ संकेत देता है। सभी श्रद्धालु अपने जीवन में इस दिन की महत्ता को समझकर, नियमों और परंपराओं का पालन करें तो निश्चित ही उन्हें अपार लाभ और सुख प्राप्त होगा।