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Tuesday, June 17, 2025

‘PM Modi अच्छे दोस्त, लेकिन भारत कर रहा बुरा सलूक’, कहकर Trump ने लगा दिया 26% टैरिफ

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) की घोषणा करते हुए भारत, चीन, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाने की नई नीति पेश की। ट्रंप ने कहा कि इस दिन को अमेरिका के औद्योगिक पुनर्जन्म और समृद्धि की शुरुआत के रूप में मनाया जाएगा। ट्रंप के अनुसार, यह कदम अमेरिकी उद्योग को पुनर्जीवित करेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा।

भारत पर 26% टैरिफ क्यों?

ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया, लेकिन इसके बावजूद भारत पर टैरिफ लगाने का कारण बताया। ट्रंप का कहना था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 52% शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 26% शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। उनका कहना था कि भारत अमेरिका के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा है, और इस टैरिफ नीति का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन को ठीक करना है।

कौन से देश प्रभावित होंगे? नई ‘पारस्परिक टैरिफ’ (Reciprocal Tariffs) नीति के तहत, अमेरिका ने निम्नलिखित देशों पर शुल्क लागू किया है:

  • भारत: 26%

  • चीन: 34%

  • यूरोपीय संघ: 20%

  • जापान: 24%

  • ताइवान: 22%

  • इजरायल: 17%

इन देशों पर टैरिफ लगाने का उद्देश्य व्यापारिक असंतुलन को ठीक करना और अमेरिकी उद्योग को लाभ पहुंचाना है। ट्रंप का मानना है कि इससे अमेरिकी कंपनियों को घरेलू बाजार में अधिक अवसर मिलेंगे और वे ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन सकेंगी।

नई टैरिफ नीति का असर क्या होगा? भारत और अमेरिका के बीच व्यापार पहले ही कई मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण रहा है, और यह नई टैरिफ नीति उस तनाव को और बढ़ा सकती है। भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में व्यापार करना महंगा हो सकता है, और अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं। इसके अलावा, कई अमेरिकी कंपनियों, जो भारत से कच्चा माल या तैयार उत्पाद आयात करती हैं, उनके लिए उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार युद्ध की संभावना भारत और अन्य प्रभावित देशों द्वारा जवाबी कदम उठाए जाने की संभावना है। यह वैश्विक व्यापार युद्ध का रूप भी ले सकता है। हालांकि, ट्रंप का दावा है कि यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करेगी, जबकि कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है क्योंकि वैश्विक व्यापारिक संबंध कमजोर हो सकते हैं।

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