दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बारे में विवादों की कोई कमी नहीं है। जहां उनके समर्थक उन्हें महिला सशक्तिकरण की प्रतीक और ताकतवर नेता मानते हैं, वहीं उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं, जो उनकी राजनीतिक यात्रा पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
एक बड़ा आरोप जो रेखा गुप्ता पर लगा है, वह विधानसभा में हुए हिंसक हमले से जुड़ा हुआ है। जब मई के महीने में उनका चयन हो रहा था, तब विधानसभा में एक गंभीर हिंसक घटना हुई थी, जिसमें रेखा गुप्ता का नाम भी जोड़ा जा रहा है। आरोप है कि इस हमले में रेखा गुप्ता की भूमिका थी और वह इस हिंसा के दौरान सक्रिय थीं। इस घटना ने न केवल उनकी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि दिल्ली की विधानसभा की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई।
विपक्षी दलों ने रेखा गुप्ता को आड़े हाथों लिया है और आरोप लगाया है कि वह ऐसी हिंसक घटनाओं में शामिल होकर सत्ता में पहुंचने की कोशिश कर रही थीं। उनकी छवि को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, और दिल्ली की जनता को यह चिंता है कि क्या रेखा गुप्ता की नेतृत्व क्षमता इतनी मजबूत है कि वह राज्य की भलाई में अपनी भूमिका निभा सकें।
रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके खिलाफ यह विवाद और आरोप फिर से सुर्खियों में आ गए हैं, और यह सवाल उठता है कि क्या दिल्ली की जनता एक ऐसे नेता को नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार है, जिनकी छवि पर विवादों का साया है।