अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐसा फैसला सुनाया जिससे हजारों फेडरल कर्मचारियों को झटका लगा और उनके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए। अदालत ने ट्रंप प्रशासन को 16,000 परिवीक्षाधीन फेडरल कर्मचारियों की बर्खास्तगी की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है। यह आदेश छह बड़े विभागों—डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स, एग्रीकल्चर, डिफेंस, एनर्जी, इंटीरियर और ट्रेज़री—से जुड़े कर्मचारियों को प्रभावित करता है।
पिछले महीने एक संघीय न्यायाधीश ने इन कर्मचारियों की बहाली का आदेश दिया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। प्रशासन का कहना था कि जिन संगठनों ने यह मुकदमा दायर किया, उनके पास वैधानिक आधार नहीं है और उन्होंने “सरकारी रोजगार प्रक्रिया का अपहरण कर लिया है।”
यूनियनों और गैर-लाभकारी संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि कर्मचारियों की तत्काल बहाली सुनिश्चित की जाए क्योंकि बर्खास्तगी से न केवल हजारों परिवारों का जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि इससे सरकारी सेवाओं में भी भारी व्यवधान आ गया है।
उनके मुताबिक, ये कर्मचारी केवल नए भर्ती लोग नहीं थे, बल्कि हाल ही में प्रोमोट हुए अनुभवी अधिकारी भी थे। अचानक हुई बर्खास्तगियों से कई विभागों में नेतृत्वहीनता और कार्य में रुकावटें आ गईं। “सेवाओं पर इसका प्रभाव तात्कालिक और गहरा था,” यूनियनों ने अपने तर्क में लिखा।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी कि इन संगठनों के पास मुकदमा चलाने का पर्याप्त आधार नहीं है। हालांकि, जस्टिस सोनिया सोतोमयोर और केतानजी ब्राउन जैक्सन ने ट्रंप प्रशासन की मांग खारिज करने की राय दी थी।
इस फैसले के बाद यूनियनों की गठबंधन ने इसे “बेहद निराशाजनक” बताया, लेकिन उन्होंने लड़ाई जारी रखने की बात कही। “यह केवल एक झटका है, हार नहीं। हमारा संघर्ष इन कर्मचारियों के लिए है, जिन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर किया गया है, और यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है,” उन्होंने बयान में कहा।
यह मामला सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि हजारों जिंदगियों से जुड़ा हुआ है। उम्मीद है कि आने वाले समय में न्याय की एक नई किरण फिर से चमकेगी।