प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत करने का विधान है। लिहाजा 1 अप्रैल 2025 को विनायक चतुर्थी व्रत किया जाएगा। बता दें कि किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि जब मंगलवार के दिन पड़ती है तो अंगारकी चतुर्थी होती है। ऐसे में इसे अंगारकी विनायक चतुर्थी कहेंगे। अंगारकी चतुर्थी कर्ज से छुटकारा पाने के लिए बड़ी ही प्रशस्त है। नवरात्र के दौरान पड़ने के कारण इस चतुर्थी व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेश भगवान की उपासना करना, उनके मंत्रों का जप करना और उनके निमित्त विशेष उपाय करना आपके लिए बड़ा ही लाभकारी सिद्ध होगा। तो विनायक चतुर्थी के दिन हम आपको विशेष रूप से मंत्र महार्णव में दिए गये भगवान गणेश के वक्रतुण्ड और उच्छिष्ट गणपति मंत्र प्रयोग के बारे में बताएंगे।
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि पूर्वक पूजा करने के बाद भगवान श्री गणेश जी के वक्रतुण्डाय मंत्र का पुरस्चरण यानि की जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- ‘वक्रतुण्डाय हुं।’
अब बात करते हैं मंत्र प्रयोग की –
– अगर आप अपनी धन-दौलत में वृद्धि करना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन अन्न में घी मिलाकर 108 आहुतियां दें और हर बार आहुति के साथ मंत्र पढ़ें। मंत्र हैं- वक्र तुण्डाय हुं।
– इसके अलावा अगर आप चाहते हैं कि आपको अचानक बड़ा धन लाभ हो जाए तो विनायक चतुर्थी के दिन आपको नारियल के टुकड़े की एक हजार आहुतियां देनी चाहिए और साथ ही वक्रतुण्ड मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- वक्र तुण्डाय हुं।
– अगर आपको किसी भी कारणवश आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो विनायक चतुर्थी के दिन आपको पहले 1008 बार वक्रतुण्ड मंत्र का जप करना चाहिए। फिर भगवान का ध्यान करते हुए अष्टद्रव्यों में से किसी एक द्रव्य की 108 आहुतियां देनी चाहिए। उन अष्टद्रव्यों के नाम भी आपको बता दूंगन्ने का रस, सत्तू, केला, चिउड़ा, तिल, मोदक, नारियल और धान का लावा। विनायक चतुर्थी के दिन इस प्रकार वक्रतुण्ड मंत्र का जप करके किसी एक द्रव्य की आहुति देने से आपको हर तरह की आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
– जानकारी के लिए आपको बता दें कि वैसे तो ये उपाय किसी भी पक्ष की चतुर्थी से लेकर उसी पक्ष की अगली चतुर्थी तक किया जाता है। इसमें रोज 10 हजार मंत्रों का जप करके अष्टद्रव्यों में से किसी एक द्रव्य से 108 आहुतियां देनी चाहिए। लेकिन जो लोग इतना न कर पायें, वो विनायक चतुर्थी के दिन नवरात्र के दौरान केवल 1008 मंत्रों का जप करके किसी एक द्रव्य से 108 बार आहुति देकर भी लाभ पा सकते हैं।
उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र
मंत्र प्रयोग के लिए सबसे पहले आपको मंत्र सिद्ध करना होगा। इसके लिए आपको आसन पर बैठकर 1008 बार उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा। कहते हैं इस मंत्र के जप से ही कुबेर जी निधियों के स्वामी बन गये। लिहाजा ये मंत्र बड़ा ही लाभदायी है। अगर आप 1008 बार इस मंत्र का जप न कर सकें, तो 108 बार जप करें। श्री गणेश जी के मंत्रों के जप के लिए लाल चंदन की माला सर्वश्रेष्ठ बतायी गई है। लाल चंदन न होने की स्थिति में मूंगा, श्वेत चंदन, स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर भी जप कर सकते हैं। इस प्रकार मंत्र सिद्ध करने के बाद आपको उनका क्या प्रयोग करना है, ये भी जान लीजिए अगर आप अपने शत्रुओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र सिद्ध करने के बाद नीम की लकड़ियों से श्री गणेश जी की प्रतिमा बनाकर, उसका विधि-पूर्वक पूजन करें।
- अगर आप किसी को अपने वश में करना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी के दिनहस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा। मंत्र को सिद्ध करके उस व्यक्ति का ध्यान करके, जिसे आप अपने वश में करना चाहते हैं, घी, शहद और शक्कर को लावा में मिलाकर हवन करना चाहिए।
- अगर आप करियर में अच्छे फल पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी के दिन आपको उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र सिद्ध करने के बाद कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर, उससे गणेश जी की मूर्ति बनानी चाहिए और उस मूर्ति को घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करके उसकी पूजा करनी चाहिए।
- अगर आप सुख-सौभाग्य पाना चाहते हैं और हर प्रकार से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन आपको पहले उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र का 1008 बार या 108 बार जप करना चाहिए। मंत्र है- हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा। इस प्रकार मंत्र जप के बाद भोजपत्र पर अनार की कलम से या फिर सादे कागज पर लाल स्याही से उच्छिष्ट गणपति मंत्र को लिखकर, ताबीज में डलवाकर अपने गले में धारण करना चाहिए।