अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump की अवैध प्रवासियों पर कठोर प्रतिबंधों के बाद वहां से भारत लौटे 104 भारतीयों ने अमेरिका जाने के अपने डंकी रूट की कहानी बताई है। ये लोग यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा से अमृतसर वापस आए हैं। इन भारतीयों ने वहां तक पहुंचने के लिए एजेंटों के झांसे में आने और उस दौरान सामने आई समस्याओं को बताया है। उन्होंने बताया कि डंकी ने फ्लाइट्स ली और बड़ी रकम चुकाने के बावजूद बिना पेपर्स के अमेरिका पहुंचा। लंबी फ्लाइट्स, खतरनाक समुद्री सफर और खतरनाक पहाड़ियों में 45 किलोमीटर तक पैदल चलने का उनका अनुभव इस यात्रा में शामिल है। इन सभी के बारे में जानिए।
42 लाख रुपए लिए लेकिन वीजा नहीं दिया
ताहली गांव, पंजाब के होशियारपुर जिले में रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि एक एजेंट ने उनसे अमेरिका में काम करने का वीजा देने का वादा किया था। इसके लिए उन्होंने ४२ लाख रुपये खर्च किए। लेकिन वह अपनी प्रतिज्ञा से मुकर गया। उस एजेंट ने अंतिम समय में बताया कि वीज़ा नहीं आया था, और बाद में उन्हें कहीं से कहीं भेजा गया। उनका सफर दिल्ली से कतर और फिर ब्राज़ील तक लगातार फ्लाइट्स पर हुआ।
मीडिया को बताया कि जब वे ब्राजील पहुंचे तो उनको पेरू से फ्लाइट मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं था। फिर उन्हें टैक्सियों में भेजा गया। पहले वह कोलंबिया गए, फिर पनामा गए। उन्हें बताया गया कि यहां से वे जहाज में ले जाएंगे। लेकिन वहां कोई जहाज नहीं था। यहीं से उनका दो दिन का डंकी फ्लाइट्स प्रस्थान हुआ।
कैसे हरविंदर सिंह अमेरिका पहुंचा
हरविंदर सिंह ने बताया कि पहाड़ी रास्ता पार करने के बाद वह और अन्य प्रवासी मैक्सिको बॉर्डर की तरफ गहरे समुद्र में एक छोटी नाव में भेज दिए गए। ये समुद्री सफर चार घंटे का था। उन्हें लेकर जा रही नाव इस दौरान पलट गई। इस दौरान उसके साथ नाव पर एक और व्यक्ति की मौत हो गई। पनामा के जंगलों में एक और व्यक्ति मर गया। हरविंदर ने कहा कि वह इस पूरे दौरान बहुत कम चावल पर जीवित रहा।
कुलजिंदर कौर, हरविंदर सिंह की पत्नी, ने पीटीआई को बताया कि हमारे पास जो कुछ था, उसे बेच दिया और बेहतर भविष्य की उम्मीद में एजेंट को भारी ब्याज पर धन उधार लिया। लेकिन एजेंट ने हमें गलत बताया। अब मेरे पति को वापस भेजा गया है और हमारे पास बहुत अधिक कर्ज है।
जानिए सुखपाल सिंह की कहानी
जालंधर के दारापुर गांव में रहने वाले सुखपाल सिंह ने भी इसी तरह की समस्या बताई। उनका कहना था कि समुद्र के रास्ते उनको पंद्रह घंटे की यात्रा करनी पड़ी और गहरी पहाड़ियों से चार से पांच किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ी, जिसमें उनको काफी दर्द उठाना पड़ा। उनका कहना था कि इस दौरान अगर कोई घायल हो जाता है तो मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। रास्ते में वे कई लाशों को भी देखा। यात्रा से कोई लाभ नहीं निकला। क्योंकि वे मैक्सिको में बॉर्डर पार करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए थे।
सुखपाल सिंह ने कहा, “हमें 14 दिनों तक एक अंधेरी कोठरी में रखा गया और हमने कभी सूरज नहीं देखा. ऐसी ही परिस्थितियों में हजारों पंजाबी युवा, परिवार और बच्चे फंसे हैं.”
मुझे हाथ-पैर बांधकर भारत लाया गया।
जसपाल सिंह, जो अमेरिका से लौटने वाले अवैध प्रवासियों में था, ने कहा कि उन्हें एक ट्रैवल एजेंट ने आश्वासन दिया था कि उन्हें कानूनी रूप से अमेरिका भेजा जाएगा, जिसके लिए उनसे 30 लाख रुपए मांगे गए। 24 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर गश्ती दल द्वारा गिरफ्तार होने से पहले, वे ब्राज़ील ले गए, जहां वे छह महीने तक रहे।
