दमोह में सात लोगों की जान लेने वाला नरेंद्र विक्रमादित्य यादव पहले भी बड़े हॉस्पिटल में ऑपरेशन कर चुका है और इस कारण छत्तीसगढ़ में भी मौतें हो चुकी हैं। पर इस बड़े घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव नें उचित कार्यवाही करने के दिशा निर्देश दिए हैं
डॉ. एन जॉन कैम की कहानी
असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव। फर्जी नाम डॉ. एन जॉन कैम। पहचान, भूरे बाल, बड़े नेताओं के साथ फोटो। काम- नकली कॉर्डियोलॉजिस्ट बनकर हार्ट सर्जरी यानी दिल का ऑपरेशन। नतीजा दमोह में 7 लोगों की मौत। पहले भी कई हत्या कर चुके इस फर्जी डॉक्टर ने दुनिया के विख्यात कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर जॉन कैम से मिलते-जुलते नाम से सोशल मीडिया अकाउंट और फर्जी कंपनी भी बनाई। ओरिजिनल प्रोफेसर जॉन कैम दिल के बड़े डॉक्टर हैं और यूरोप के अलावा अमेरिका के कई संस्थाओं के फैलो हैं। विक्रमादित्य यादव ने उनके नाम के आगे एन. जोड़कर कई सालों तक जानलेवा खेल खेलता रहा। इस ठग ने भौकाल बनाने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ फोटोशॉप तस्वीरें भी बनवाईं। सोशल मीडिया में ये तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
कई मरीजों नें ऑपरेशन करने को मना किया
बताया जाता है कि नकली डॉक्टर जॉन कैम ने मिशन हॉस्पिटल में 15 लोगों के दिल का ऑपरेशन किया। गनीमत यह रही कि अन्य लोग दिक्कत आने पर दूसरे अस्पताल में सही समय पर पहुंच गए। नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. एन जॉन कैम बड़ा शातिर है। वह किसी शहर में ज्यादा दिन टिकता नहीं था। वह शहर के सबसे लग्जरी हॉस्पिटल में रहता था। वह दवाई लिखने के लिए कोई प्रिस्क्रिप्शन भी नहीं देता था। सादे कागज पर ही उसने दवा लिखकर अपना धंधा चमकाता रहा। हद तो यह है कि मेडिकल स्टोर वाले भी सादे कागज पर लिखी दवाई मरीजों को देते रहे। उसकी इस हरकत से कई बीमारों को शक हुआ और सभी ने फर्जी डॉक्टर से ऑपरेशन कराने से इनकार कर दिया। अगर लोग नहीं जाते तो मौतों की तादाद सात से ज्यादा होती।
नाम नकली, डिग्री नकली, पहचान नकली पर मौते असली
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, विक्रमादित्य यादव पिछले 18 साल से मौत का खेल खेलता रहा और किसी को इसकी करतूतों का भनक नहीं लगी। अगस्त 2006 में विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने किया था। तब इसके ऑपरेशन से 8 लोगों की जान गई थी। तब मौतों की जांच हुई तो यह नतीजा निकला कि विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम के पास एमबीबीएस की डिग्री है। रिपोर्टस के मुताबिक, दिल का फर्जी डॉक्टर मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उसकी आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज से जारी कथित एमबीबीएस की डिग्री भी फर्जी है। विक्रमादित्य का एमबीबीएस रजिस्ट्रेशन नंबर एक महिला डॉक्टर का निकला है। एमडी और कॉर्डियोलॉजिस्ट की डिग्री में कोई रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है।
आयोग करेगा जाँच
जबलपुर नाका के रहने वाले एक व्यक्ति को जब लगातार हो रही मौतों का पता चला तो उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई। मामला दर्ज होते ही यह नकली डॉक्टर दमोह से चंपत हो गया। मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) तक पहुंचा। अब आयोग की टीम 7 अप्रैल से 9 अप्रैल तक दमोह में डेरा डालेगी, तब पता चलेगा कि उसने सच में कितने लोगों की जान से खिलवाड़ किया है। दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा है कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की उचित कर्यवाही की घोंषणा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार दमोह के मिशनरी अस्पताल में कथित तौर पर सात मरीजों की मौत का कारण बने एक “फर्जी” डॉक्टर से जुड़े मामले में सख्त कार्रवाई करेगी ।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ऐसे मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई देरी नहीं करेगी और निर्देश दिया कि अगर राज्य में ऐसा कोई और मामला है, तो स्वास्थ्य विभाग उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। मुख्यमंत्री यादव ने संवाददाताओं से कहा, ” दमोह में सामने आई घटना में हमारी सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। हमारी सरकार ऐसे मामलों में कार्रवाई करने में कोई देरी नहीं करती है। हमारी सरकार ने अपनी साख बनाई है। मैंने निर्देश दिया है कि अगर ऐसा कोई और मामला है, तो स्वास्थ्य विभाग उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।”