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Thursday, May 1, 2025

Farmer’s Protest: किसानों के समर्थन में पंजाब कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं का विरोध प्रदर्शन

पंजाब कांग्रेस के सांसदों ने किसानों के खिलाफ हो रही पुलिस कार्रवाई और जबरन हटाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

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Farmer’s Protest: किसान हमेशा से देश की रीढ़ की हड्डी माने गए हैं, लेकिन मौजूदा समय में उनके साथ हो रहे अन्याय और अत्याचारों को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में, पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग सहित पंजाब कांग्रेस के सांसदों ने किसानों के खिलाफ हो रही पुलिस कार्रवाई और जबरन हटाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह घटना पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी और शंभू बॉर्डर पर घटित हुई, जहां किसानों को बेदखल किया गया। इस घटना को लेकर पंजाब और केंद्र सरकार दोनों की आलोचना की गई, और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया कि किसानों के अधिकारों की रक्षा की जाए।

अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने किसानों के खिलाफ हो रही हिंसा और जबरन बेदखली पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जिस तरह से किसानों पर अत्याचार किए गए हैं, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। सरकार का असली चेहरा अब सामने आ चुका है, जो पहले दावा करती थी कि वह किसानों के हितों की रक्षा करेगी, लेकिन अब यह साफ हो गया कि वह केवल किसानों को दबाने और उनके अधिकारों का उल्लंघन करने में लगी हुई है।” वारिंग ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी आरोप लगाए कि वे किसानों को पीटने और उनकी आवाज को दबाने के लिए जिम्मेदार हैं। उनका कहना था, “भगवंत मान और अमित शाह दोनों ने मिलकर किसानों पर अत्याचार किया है, और यह कतई स्वीकार्य नहीं है।”

किसान हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, और उनका जीवन खेती पर निर्भर है। जब सरकार उन्हें जमीन से बेदखल करने की कोशिश करती है या उन्हें सड़कों पर लाकर उनके अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरे की घंटी है। किसान न केवल अपनी जमीन और फसल के लिए काम करता है, बल्कि वह देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में, किसानों को जबरन हटाना, उनका उत्पीड़न करना और उनके खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करना, केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से उनके सम्मान पर भी हमला है।

इस घटना से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने इस बेदखली और किसानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। पन्नू ने कहा, “हमने देखा है कि पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान कई तरह के दमनकारी कदम उठाए गए हैं। जब सरकार खुद किसानों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो यह समाज के सबसे कमजोर वर्ग के खिलाफ एक गहरी साजिश का हिस्सा लगता है।” पन्नू ने कहा कि वे हरियाणा और पंजाब के डिप्टी कमिश्नरों के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे और किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में आवाज उठाएंगे। उनका कहना था, “हम पंजाब और हरियाणा में किसानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का विरोध करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सरकार को इसका हिसाब देना पड़े।”

किसान हमेशा से अपने हक के लिए संघर्ष करते रहे हैं, और यह संघर्ष उनके अस्तित्व की लड़ाई है। जब सरकारें अपनी नीतियों से किसानों को नुकसान पहुंचाती हैं, तो यह देश की आत्मनिर्भरता पर भी असर डालता है। अगर किसानों के अधिकारों को दबाया जाएगा, तो इसका प्रभाव पूरी जनता पर पड़ेगा। यही कारण है कि इस समय किसानों की आवाज को उठाने और उनके हक के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी किसानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई की आलोचना की और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “किसानों के लिए कोई भी सरकार तब तक नहीं हो सकती, जब तक वह उनके मुद्दों को हल करने की दिशा में काम नहीं करती। किसानों के अधिकारों का सम्मान करना और उनके मुद्दों का समाधान करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए।” यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार को किसानों के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उनकी मांगों को सुनना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के साथ अन्याय करने का कोई औचित्य नहीं है और किसी भी सरकार को किसानों के खिलाफ कदम नहीं उठाना चाहिए।

यादव का यह बयान पूरी तरह से सही है। किसानों को केवल एक वोट बैंक के रूप में नहीं देखा जा सकता। उन्हें सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है। उन्हें अपने जीवन और खेती से संबंधित फैसलों में शामिल किया जाना चाहिए। जब सरकार उन्हें उनके हक से वंचित करती है, तो यह न केवल उनके जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे समाज को नुकसान पहुंचाता है। किसान वह हैं जो हमें खाना उपलब्ध कराते हैं, और उनका शोषण या उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से हटाना समाज के लिए एक बड़ा खतरा है।

पंजाब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने किसानों के समर्थन में जो आवाज उठाई है, वह बहुत ही जरूरी है। इस संघर्ष में केवल किसान ही नहीं, बल्कि पूरे देश का भविष्य जुड़ा हुआ है। किसानों को अपना हक चाहिए, और यह हक केवल उनके लिए नहीं, बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना होगा कि बिना किसानों के कोई भी राष्ट्र समृद्ध नहीं हो सकता।

यह जरूरी है कि सरकारें किसानों के मुद्दों को समझें और उन्हें हल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। उनके खिलाफ हिंसा और दमन की नीति को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी इस मुद्दे पर जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अगर वह किसानों के हितों की रक्षा करने के बजाय उनके खिलाफ खड़े होते हैं, तो उन्हें इस फैसले का जवाब देना होगा।

किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमें हर स्तर पर संघर्ष करना होगा। यदि हमें अपने किसानों को समृद्ध और खुशहाल देखना है, तो हमें उन्हें उनका हक देना होगा, और उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार देना होगा। सरकारों को यह समझना होगा कि किसान कोई मामूली वर्ग नहीं है, बल्कि वह देश की प्रगति और समृद्धि में सहायक है। किसान की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार को न केवल उनके मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, बल्कि उनकी भलाई के लिए काम करना चाहिए।

किसान आंदोलन के दौरान एक बात साफ हो गई है कि किसान किसी भी परिस्थिति में अपने अधिकारों से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका संघर्ष केवल उनकी खेती और जमीन के लिए नहीं, बल्कि यह पूरे समाज और राष्ट्र के लिए है। इसलिए, हमें इस संघर्ष में किसानों का साथ देना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी ताकत से खड़ा होना चाहिए।

आज हम यह देख रहे हैं कि किसान अपनी जमीन को बचाने और अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम सभी को यह समझना होगा कि किसान का संघर्ष केवल उनका संघर्ष नहीं है, बल्कि यह हमारी भी लड़ाई है। इस संघर्ष में हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, ताकि हम एक बेहतर और समृद्ध राष्ट्र की दिशा में बढ़ सकें, जिसमें किसान भी अपनी भूमि और सम्मान के साथ जी सकें।

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Shreya Bhushan
Shreya Bhushan
श्रेया भूषण एक भारतीय पत्रकार हैं जिन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप के बिहार तक और क्राइम तक जैसे चैनल के माध्यम से पत्रकारिता में कदम रखा. श्रेया भूषण बिहार से आती हैं और इन्हे क्राइम से संबंधित खबरें कवर करना पसंद है
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