कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग की कार्यशैली और निष्पक्षता पर कड़े सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव आयोग को यह सोचना होगा कि क्या उसका दायित्व केवल एक दल, विशेष रूप से भाजपा, के प्रति है या पूरे देश के लोकतंत्र के प्रति। उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से उनके चुनावी धोखाधड़ी के आरोपों पर शपथपत्र देने की मांग की थी।
प्रियंका गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और केवल प्रक्रियागत तर्कों में उलझने की बजाय असली मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक बड़े खुलासे के बाद भी आयोग त्वरित जांच से बच रहा है और शिकायतकर्ता से ही सबूत की मांग कर रहा है। प्रियंका ने सवाल उठाया कि जब चुनावी मशीन-रीडेबल मतदाता सूचियाँ पेश करने की बात आती है तो आयोग पीछे क्यों हटता है और दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं होती।
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग की जिम्मेदारी केवल किसी एक राजनीतिक दल के प्रति नहीं हो सकती। “अगर कभी सत्तासीन दल बदल जाएगा तो आयोग में बैठे लोगों को जवाब देना पड़ेगा कि उन्होंने हमारे लोकतंत्र को क्यों चोट पहुँचाई,” उन्होंने चेतावनी दी। प्रियंका गांधी ने मतदाता सूची की प्रक्रिया को भी विवादास्पद बताया क्योंकि उसमें पारदर्शिता और नागरिक सहभागिता की कमी उजागर हो रही है।
प्रियंका गांधी ने पिता राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन करते हुए दावा किया कि कर्नाटक और दूसरे राज्यों में फर्जी वोटर लिस्ट तैयार की गई है, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने विपक्ष को भरोसा दिलाया कि इस विषय पर संसद में बहस करवाई जाएगी और विपक्षी दल सामूहिक रूप से लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि जनता के मतों की रक्षा के लिए सरकार तथा आयोग की जवाबदेही तय करना अनिवार्य है।
आखिर में, प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी कि अगर आयोग लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अनदेखी करता रहा तो भविष्य में उसकी प्रतिष्ठा एवं देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर बड़ा खतरा उपस्थित हो सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को जनता की आवाज़ बनाकर लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए दबाव बनाएगा।
