21.1 C
Delhi
Monday, October 27, 2025

भारत में बिना मान्यता के चल रहे मीडिया संस्थानों के इंस्टीट्यूट्स

भारत में कई बड़ी मीडिया कंपनियां अपने ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट बिना किसी सरकारी मंजूरी और विश्वविद्यालय संबद्धता के चला रही हैं। इंडिया टुडे मीडिया इंस्टिट्यूट समेत इन संस्थानों की मान्यता पर उठ रहे सवाल छात्रों के करियर को प्रभावित कर रहे हैं।

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -

भारत में कई मीडिया कंपनियां अपने मीडिया प्रशिक्षण संस्थान चला रही हैं जो किसी भी विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं हैं और न ही उन्हें यूजीसी (University Grants Commission) या किसी अन्य सरकारी एजेंसी से आधिकारिक मंजूरी मिली है। इन संस्थानों को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि वे अपने पाठ्यक्रमों को मान्यता प्राप्त डिग्री के रूप में पेश करते हैं जबकि वास्तव में ये केवल डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स होते हैं। इसके बावजूद सरकार की ओर से इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो जाता है।

इंडिया टुडे मीडिया इंस्टिट्यूट (ITMI), नोएडा, भारत के ऐसे संस्थानों में से एक है जिसका संचालन इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा किया जाता है। इस संस्थान में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और कई शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स चलते हैं। हालांकि ITMI उच्च गुणवत्ता वाली मीडिया शिक्षा देने का दावा करता है, लेकिन यह किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं है और यूजीसी द्वारा भी इसे मान्यता प्राप्त नहीं है। ये कोर्स औपचारिक शैक्षणिक डिग्री नहीं हैं बल्कि उद्योग के अनुसार डिजाइन किए गए डिप्लोमा और ट्रेनिंग प्रोग्राम हैं, जिनका उपयोग सरकारी मान्यता वाले शैक्षणिक कार्यों में सीमित होता है।

ITMI के कोर्स में छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और इंडस्ट्री एक्सपोजर दिया जाता है, और संस्थान कैरियर के लिए इंटर्नशिप और प्लेसमेंट की संभावनाएं भी प्रदान करता है। हालांकि, छात्रों को साफ-साफ यह जानकारी नहीं दी जाती कि इनके प्रमाण पत्र और डिप्लोमा का मान्यता स्तर केवल निजी या उद्योग-विशेषी है, न कि किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय स्तर का। इससे कई छात्रों को बाद में उच्च शिक्षा या सरकारी नौकरी में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

भारत में केवल वही संस्थान डिग्री प्रदान करने के अधिकार रखते हैं जो यूजीसी या संबंधित मान्यता प्राप्त संस्थाओं से अनुमति प्राप्त हों। लेकिन मीडिया कंपनियों के ये संस्थान—जैसे इंडिया टुडे मीडिया इंस्टिट्यूट, टाइम्स स्कूल ऑफ मीडिया, ZIMA, नेटवर्क 18 स्कूल ऑफ मीडिया आदि—सिर्फ निजी, गैर-मान्यता प्राप्त डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स चलाते हैं। ये पाठ्यक्रम शिक्षा के केवल व्यावहारिक पक्ष पर ध्यान देते हैं, लेकिन शैक्षणिक दृष्टि से इन्हें मान्यता प्राप्त नहीं माना जाता।

सरकार और संबंधित शिक्षा निकाय फिलहाल इन गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे ये संस्थान आसानी से संचालित हो रहे हैं। इससे छात्रों को भ्रम होता है और वे सोचते हैं कि ये कोर्स उनकी शैक्षणिक या करियर जरूरतों को पूरी तरह पूरा करते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार सक्रिय कदम उठाए, इन संस्थानों की निगरानी करे और स्पष्ट सूचना दें कि ये कोर्स किस स्तर के हैं और उनका वैध उपयोग क्या हो सकता है।

इसी प्रकार के मीडिया संस्थानों के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखने में चुनौतियां बढ़ रही हैं। इंडिया टुडे मीडिया इंस्टिट्यूट जैसा बड़ा नाम होने के बावजूद, इसके पाठ्यक्रमों की मान्यता और कानूनी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए ताकि छात्र सही निर्णय ले सकें। संक्षेप में, छात्रों को चाहिए कि वे ऐसे संस्थानों में दाखिले से पहले इनके शैक्षणिक मान्यता और भविष्य की उपयोगिता की पूरी जानकारी लें।

इस प्रकार, मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में एक नियंत्रित, पारदर्शी और मान्यता प्राप्त व्यवस्था की जरूरत है, जिससे छात्रों को सही शिक्षण और करियर के अवसर मिलें और भारत की शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता बनी रहे। फिलहाल, मीडिया कंपनियों के ये निजी संस्थान बिना किसी सरकारी मंजूरी के चल रहे हैं जो शिक्षा क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना है।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!