राजस्थान कांग्रेस संगठन में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कांग्रेस नेतृत्व ने 24 अक्टूबर को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें संगठनात्मक स्तर पर बड़े फैसले लिए जाने की उम्मीद है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के.सी. वेणुगोपाल इस बैठक में राजस्थान के सभी 30 पर्यवेक्षकों के साथ वन-टू-वन संवाद करेंगे और जिलाध्यक्षों के चयन पर आई रिपोर्टों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बैठक में यह देखा जाएगा कि पर्यवेक्षकों ने अपनी रायशुमारी रिपोर्ट में किन नामों की सिफारिश की है और उन पर क्या टिप्पणियां की गई हैं। रिपोर्ट के आधार पर अंतिम नामों को लेकर चर्चा होगी। इसके बाद के.सी. वेणुगोपाल राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे। इस बातचीत के बाद नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
बैठक में राजस्थान कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे की समीक्षा की जाएगी। पार्टी का मानना है कि जिला स्तर पर मजबूत टीम तैयार करने से कांग्रेस आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी और विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका और प्रभावशाली तरीके से निभा सकेगी।
कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान फिलहाल तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू किए गए इस अभियान के तहत राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में नवंबर के पहले सप्ताह तक जिलाध्यक्षों को बदला जाना तय है। इस प्रक्रिया में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता की भूमिका सीमित रखी गई है ताकि चयन पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
सूत्रों के अनुसार, 50 जिलों में रायशुमारी के लिए नियुक्त 30 केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्टें तैयार कर ली हैं और इन्हें राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के.सी. वेणुगोपाल को सौंप दिया गया है। अब वे राजस्थान के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक में इन रिपोर्टों के आधार पर नए जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल करेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि अकेले राजस्थान में जिलाध्यक्ष बनने के लिए लगभग 3000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। जयपुर शहर अध्यक्ष पद के लिए 32 लोगों ने आवेदन किया है, जबकि जयपुर ग्रामीण पूर्व और पश्चिम के लिए भी 60 से अधिक आवेदन आए हैं। इस प्रक्रिया में विधायकों, पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।
वेणुगोपाल के मुताबिक, नए जिलाध्यक्षों को पहले की तुलना में अधिक अधिकार और जिम्मेदारियां दी जाएंगी ताकि संगठन को जमीनी स्तर पर मज़बूत बनाया जा सके। कांग्रेस नेतृत्व का लक्ष्य 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले एक सक्रिय, सशक्त और एकजुट संगठन खड़ा करना है, जो जनता के मुद्दों को मजबूती से उठा सके।
