कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शुक्रवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर तीखा हमला किया। दीक्षित ने कहा कि ओवैसी का काम हमेशा कहीं न कहीं साम्प्रदायिकता फैलाना है। उन्होंने ओवैसी पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में विधानसभा चुनावों से पहले शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
दीक्षित, जो नई दिल्ली विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं, ने कहा कि भाजपा भी साम्प्रदायिकता भड़काने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दिल्ली में यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। उन्होंने आगे कहा, “यह ओवैसी का काम है कि वह हर जगह साम्प्रदायिकता फैलाए। वह सिर्फ दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों, ओखला और अन्य जगहों पर चुनाव के दौरान शांति भंग करना चाहते हैं। भाजपा ने भी साम्प्रदायिकता भड़काने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली में यह नहीं हो सका। ओवैसी को दिल्ली में कांग्रेस की जीत से डर है।”
यह बयान ओवैसी द्वारा दिए गए बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल सकती है और वह चुनाव लड़ सकते हैं, तो AIMIM के उम्मीदवार शिफा-उर-रहमान भी जेल से चुनाव लड़ सकते हैं। शिफा-उर-रहमान दिल्ली दंगों के बड़े षड्यंत्र मामले में जेल में बंद हैं। ओवैसी ने ओखला विधानसभा सीट से उनके उम्मीदवार के प्रचार के दौरान यह टिप्पणी की।

इसके अलावा, दीक्षित ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा केजरीवाल पर की गई टिप्पणी का भी जवाब दिया। आदित्यनाथ ने यमुनाजी के प्रदूषण को लेकर केजरीवाल पर आरोप लगाया था। दीक्षित ने कहा कि राजीव गांधी के समय से ही गंगा सफाई योजना शुरू की गई थी और उत्तर प्रदेश सरकारें इस पर काम कर रही थीं, जबकि यमुनाजी के प्रदूषण पर केजरीवाल ने अब तक कोई काम नहीं किया।
संदीप दीक्षित ने कहा, “यमुनाजी की सफाई के लिए अरविंद केजरीवाल सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। मुझे नहीं लगता कि इस स्थिति में सुधार होगा जब तक नई सरकार यमुनाजी की सफाई के लिए कठोर कदम नहीं उठाती।”
इस बीच, समाजवादी पार्टी (SP) के नेता फखरुल हसन चांद ने भी योगी आदित्यनाथ पर हमला किया। चांद ने यूपी के गंगा नदी में प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए कहा, “क्या कोई गंगा नदी में स्नान कर सकता है? यूपी के कई नदियों में अब मछलियाँ भी नहीं बची थीं। भाजपा सवाल उठाने के अलावा जवाब नहीं दे सकती।”
यह बयान एक बार फिर दिल्ली और यूपी के नेताओं के बीच तीखी राजनीति को प्रदर्शित करता है, जिसमें प्रदूषण, साम्प्रदायिकता और चुनावी रणनीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।