दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी सीट इस बार सबसे चर्चित और रोमांचक मुकाबलों में से एक बन गई है। सुबह 9:50 बजे तक के शुरुआती रुझानों के अनुसार, भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने बढ़त बना ली है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवार और वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी तथा कांग्रेस की नेता अलका लांबा पीछे चल रही हैं। यह मुकाबला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीट हमेशा से राजनीतिक रूप से रणनीतिक रही है और यहां का चुनावी परिणाम दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य पर असर डाल सकता है।
चुनाव प्रचार के दौरान कालकाजी में माहौल बेहद तीखा और तनावपूर्ण रहा। प्रचार के आखिरी दौर में रमेश बिधूड़ी के विवादित बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरीं, खासकर जब उन्होंने आतिशी के उपनाम को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की, जिससे आतिशी मंच पर भावुक हो गईं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अलका लांबा पर भरोसा जताया, जिन्होंने खुद को एक जमीनी नेता के रूप में पेश किया और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
आतिशी, जो अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बनीं, अपने विकास कार्यों के दम पर सीट बरकरार रखने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने मुफ्त बस यात्रा, सस्ती बिजली, और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों को अपनी चुनावी रणनीति का केंद्र बनाया। हालांकि, स्थानीय मतदाताओं के बीच बुनियादी ढांचे की अनदेखी और जल-निकासी जैसी समस्याओं को लेकर उनकी आलोचना भी हो रही है।
रमेश बिधूड़ी, भाजपा के पूर्व सांसद और एक विवादास्पद नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनके आक्रामक प्रचार और ध्रुवीकरण की राजनीति ने उन्हें भाजपा का एक मजबूत उम्मीदवार बना दिया है। दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने बिधूड़ी को भाजपा के संभावित मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में भी पेश किया है, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।
वहीं, अलका लांबा, जो छात्र राजनीति से उठकर कांग्रेस की प्रमुख नेता बनीं, ने समावेशिता और महिला अधिकारों के मुद्दों पर फोकस किया है। उनका वादा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो महिलाओं को ₹2,500 मासिक सहायता दी जाएगी, जो खासकर निम्न आय वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश है।
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में फ्रेंड्स कॉलोनी और महारानी बाग जैसे संपन्न इलाके, और गोविंदपुरी जैसी झुग्गी बस्तियाँ शामिल हैं। यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक विषमताओं का प्रतीक है, जहां के मतदाता सड़कें, स्वच्छता, प्रदूषण, जल निकासी और स्थानीय बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर वोट डाल रहे हैं।
अब देखना यह है कि क्या आतिशी अपनी सीट बरकरार रख पाएंगी या फिर रमेश बिधूड़ी और अलका लांबा में से कोई एक इस संघर्ष में जीत हासिल करेगा। शुरुआती रुझानों ने मुकाबले को रोमांचक बना दिया है और अंतिम नतीजे तक स्थिति में और बदलाव आ सकते हैं।
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