भगोड़ा हीरा व्यापारी मेहुल चोक्सी के लिए कानूनी मोड़ आया है। बेल्जियम की कोर्ट ने पुष्टि की है कि भारत द्वारा उनके प्रत्यर्पण के मामले में लगाए गए अधिकांश आरोप बेल्जियम में भी अपराध माने जाते हैं। यह चोक्सी के खिलाफ भारत की कार्रवाई के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
कोर्ट ने प्रत्यर्पण के आरोपों को मान्यता दी
अंटवर्प की अपीलीय अदालत ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में चोक्सी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी और बेल्जियम पुलिस द्वारा अप्रैल 2025 में उनकी गिरफ्तारी को कानूनी ठहराया। 66 वर्षीय व्यापारी चोक्सी को भारत की आधिकारिक प्रत्यर्पण मांग के बाद 11 अप्रैल को अंटवर्प पुलिस ने हिरासत में लिया था। तब से वह बेल्जियम की जेल में बंद हैं और कई बार जमानत के लिए आवेदन खारिज किए गए हैं, क्योंकि उन्हें भागने का खतरा माना गया था।
अदालत ने अपने 17 अक्टूबर के आदेश में कहा कि भारतीय कानून के तहत आरोपित अपराध जैसे कि आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार, बेल्जियम में भी एक साल से अधिक की सजा के योग्य हैं। कोर्ट ने कहा, “आरोपित कृत्य 2016 के अंत से 2019 की शुरुआत के बीच भारत में हुए। ये अपराध बेल्जियम में भी एक साल से अधिक की जेल सजा के अंतर्गत आते हैं, जैसा कि बेल्जियम दंड संहिता की कई धाराओं में उल्लेख है।”
हालांकि, सभी आरोप बेल्जियम में मान्य नहीं माने गए। कोर्ट ने कहा कि “भारत की धारा 201 के तहत ‘साक्ष्य को गायब करने’ का आरोप बेल्जियम में अपराध नहीं है, इसलिए इस तथ्य के लिए प्रत्यर्पण की मंजूरी नहीं दी जा सकती।”
राजनीतिक उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं
चोक्सी के वकीलों द्वारा दायर राजनीतिक उत्पीड़न, न्यायिक पक्षपात या अमानवीय व्यवहार के दावे पर अदालत ने कहा, “प्रस्तुत दस्तावेज़ यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से गंभीर और वर्तमान खतरा है कि उसे न्याय से वंचित किया जाएगा या प्रताड़ित किया जाएगा।”
चोक्सी और संबंधित मामलों पर प्रभाव
यह फैसला चोक्सी के लिए बड़ी बाधा पेश करता है। भारत में वह पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में वांछित हैं। CBI के अनुसार, अकेले चोक्सी ने 6,400 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। उनके भतीजे नीरव मोदी फिलहाल लंदन जेल में हैं और उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी है।
बेल्जियम ने अधिकांश आरोपों को मान्यता दी और राजनीतिक पक्षपात के दावे खारिज किए, जिससे भारत के लिए चोक्सी को प्रत्यर्पित कर न्यायालय में पेश करने की कानूनी राह मजबूत हुई है।
