चीन के AI स्टार्टअप डीपसीक (DeepSeek) ने अपने नए और सस्ते AI मॉडल के साथ टेक्नोलॉजी बाजार में हलचल मचा दी है। यह मॉडल प्रदर्शन में OpenAI और Meta जैसी कंपनियों को टक्कर दे रहा है। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि यह Apple App Store की रैंकिंग में टॉप पर पहुंच गया। इस घटनाक्रम के बाद अमेरिकी कंपनी Nvidia के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
Nvidia के शेयरों में गिरावट
भारतीय समयानुसार, सोमवार शाम 4 बजे Nasdaq पर Nvidia के शेयर की कीमत $126.75 रही, जो 11.13% यानी $15.87 की गिरावट के साथ बंद हुई। इसके अलावा, Nasdaq Composite Index भी 0.50% गिरकर 19,954.30 पर पहुंच गया। Nvidia की गिरावट की वजह DeepSeek के किफायती और प्रभावी AI मॉडल को माना जा रहा है, जो हाई-क्वालिटी चिप्स और एडवांस्ड सेमीकंडक्टर तकनीक के बिना भी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है।
DeepSeek के संस्थापक क्वांट फंड के प्रमुख लियांग वेनफेंग हैं। उन्होंने हाल ही में अपना नया AI मॉडल जारी किया है, जो सीमित संसाधनों के साथ बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखता है। इसने OpenAI और Meta जैसी बड़ी कंपनियों को सीधी चुनौती दी है।

अमेरिका के प्रतिबंध और उनके प्रभाव
अमेरिका ने चीन पर एडवांस्ड सेमीकंडक्टर तकनीक और Nvidia की AI चिप्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बावजूद डीपसीक ने इन बाधाओं को पार करते हुए अपना AI मॉडल लॉन्च किया है। इस मॉडल ने बाजार में हलचल मचाते हुए Nvidia और नीदरलैंड की कंपनी ASML के शेयरों में गिरावट ला दी।
विश्लेषकों की राय
जेफरीज के विश्लेषकों का कहना है कि डीपसीक का यह कदम वर्तमान AI बिजनेस मॉडल के लिए बड़ा व्यवधान साबित हो सकता है। उनका कहना है कि हाई-क्वालिटी चिप्स और व्यापक कंप्यूटिंग पावर पर निर्भर मौजूदा AI सिस्टम को डीपसीक जैसे किफायती विकल्प चुनौती दे सकते हैं।

AI बाजार में बड़े प्रोजेक्ट्स
इस बीच, अमेरिका में OpenAI, सॉफ्टबैंक और Oracle ने $100 अरब के संयुक्त उद्यम “स्टारगेट” की घोषणा की है। इसका उद्देश्य देश में बड़े पैमाने पर डेटा सेंटर और AI इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है। दूसरी ओर, भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी भी जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा AI संचालित डेटा सेंटर बनाने की योजना बना रहे हैं।
डीपसीक की यह सफलता तकनीकी क्षेत्र में नए बदलावों और प्रतिस्पर्धा का संकेत देती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि Nvidia और अन्य तकनीकी कंपनियां इस चुनौती का कैसे सामना करेंगी।