कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक Arvind Kejriwal पर वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों को मानदेय योजना से बाहर रखने का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘ दलित विरोधी ‘ करार दिया है। यह विवाद दिसंबर 2024 में AAP द्वारा घोषित ‘पुजारी – ग्रंथि सम्मान योजना’ के बाद उभरा, जिसके तहत मंदिरों के पुजारी और गुरुद्वारों के ग्रंथियां को 18,000 रुपए मासिक मानदेय देने का वादा किया गया था।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेता Jayaram Ramesh ने कहा, ” Arvind Kejriwal ने हाल ही में पुजारी और ग्रंथियां को वेतन देने की घोषणा की, लेकिन बुद्ध विहार और वाल्मीकि तथा रविदास मंदिरों के बारे में कोई घोषणा नहीं की। यह एक बार फिर आम आदमी पार्टी और Arvind Kejriwal कि दलित विरोधी सोच को उजागर करता है। उनकी दलित विरोधी मानसिकता किसी से छिपी नहीं है। पहले भी इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। ”
AAP की प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने दलित समुदाय के उद्यापन के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “ हमारे कई कार्यक्रम दलित समुदाय के कल्याण के लिए समर्पित है, और हम सभी धार्मिक समुदायों के प्रति सम्मान रखते हैं।”
राजनीतिक जांच
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को मद्देनजर रखते हुए यह मुद्दा राजनीतिक रंग ले रहा है। दलित वोट बैंक को साधने के लिए विभिन्न पार्टियों अपने-अपने तरीके से प्रयासरत हैं। कांग्रेस एस मुद्दे को उठाकर आम आदमी पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, जबकि आम आदमी पार्टी अपने विकास कार्यों और योजनाओं के माध्यम से जनता का समर्थन पाने की कोशिश में है।
निष्कर्ष
वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारी को मानदेय योजना में शामिल न करने के आम आदमी पार्टी के फैसले पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है और इस दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया है। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दलित समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। आगामी चुनावों के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा जी यह मुद्दा किस दिशा में आगे बढ़ता है और राजनीतिक दल किस प्रकार से इसे अपने पक्ष में लेने का प्रयास करती है।