जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर आरोप लगाया गया था। रिसर्च के अनुसार, प्रमुख माधबी पुरी बुच के पास अडानी समूह द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी होने का दावा किया गया था। आपको यह बताना ज़रूरी है कि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
हिंडनबर्ग का बंद होना
वहीं, 16 जनवरी 2025 को यह खबर आई कि हिंडनबर्ग रिसर्च नामक शॉर्ट सेलिंग फर्म ने हाल ही में अपने कार्य संचालन को बंद करने का निर्णय लिया है। फर्म के संस्थापक नैट एंडरसन ने इस बारे में खुद जानकारी दी। एंडरसन के अनुसार, यह निर्णय किसी बाहरी दबाव या व्यक्तिगत समस्या के कारण नहीं लिया गया है, बल्कि उन्होंने काम की तीव्रता से थोड़ी राहत लेने और जीवन के अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है।
महेश जेठमलानी का आरोप
महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग रिसर्च का विघटन गहरे निहितार्थों का संकेत देता है, और यह अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अडानी समूह के शेयरों को निशाना बनाने में उसकी भूमिका के लिए जांच किए जाने के डर का संकेत हो सकता है। जेठमलानी ने इस रिसर्च फर्म पर “भारत की अर्थव्यवस्था को हिलाने के प्रयास” का हिस्सा होने का आरोप लगाते हुए इसे भारत को अस्थिर करने के उद्देश्य से “आर्थिक आतंकवाद” करार दिया।
जून में, अडानी एंटरप्राइजेज की वार्षिक आम सभा (एजीएम) में समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा था कि उन्हें “एक विदेशी शॉर्ट सेलर द्वारा किए गए आधारहीन आरोपों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने हमारे दशकों की कड़ी मेहनत पर सवाल उठाए।”
अडानी ने सभा में यह भी बताया, “हमारी अखंडता और प्रतिष्ठा पर अभूतपूर्व हमले के बावजूद, हमने लड़ाई लड़ी और साबित कर दिया कि कोई भी चुनौती उन नींवों को कमजोर नहीं कर सकती है जिन पर हमारा समूह स्थापित हुआ है।”