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Tuesday, December 16, 2025

ट्रंप के टैरिफ का था खौफ, Apple ने चीन और भारत से भर-भरकर अमेरिका भेजे अपने सामान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा के बाद, कंपनियों के बीच एक्सपोर्ट की रफ्तार अचानक तेज़ हो गई। भारत और चीन से अमेरिका को तेजी से भेजे गए शिपमेंट्स ने न सिर्फ कंपनियों को टैरिफ से बचाया, बल्कि भारत को अपने सालाना एक्सपोर्ट लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद दी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हड़बड़ी में आईफोन निर्माता कंपनी Apple सबसे आगे रही। रिपोर्ट में बताया गया कि Apple ने केवल तीन दिनों में भारत और चीन से अपने प्रोडक्ट्स से भरे पांच विमान अमेरिका भेजे, ताकि नए टैरिफ लागू होने से पहले स्टॉक को सुरक्षित किया जा सके।

कम सीजन में भी भारी शिपमेंट

रिपोर्ट बताती है कि यह शिपमेंट ऐसे समय हुआ जब आमतौर पर खरीदारी का दौर सुस्त रहता है। फिर भी इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स-ज्वैलरी और टेक्सटाइल सेक्टर में अमेरिका को बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट देखने को मिला।

1 से 4 अप्रैल के बीच मुंबई कस्टम्स के “कीमती कार्गो क्लीयरेंस सिस्टम” से रत्न और आभूषण का निर्यात पिछले साल के मुकाबले छह गुना बढ़कर 344 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। वहीं, 2024 में इसी अवधि में यह आंकड़ा केवल 61 मिलियन डॉलर था। इसका प्रमुख कारण 10% बेसलाइन टैरिफ के लागू होने से पहले शिपमेंट्स को पूरा करना था।

800 बिलियन डॉलर के पार भारत का एक्सपोर्ट

मार्च 2025 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान, भारत का कुल गुड्स और सर्विसेज एक्सपोर्ट 800 बिलियन डॉलर के पार पहुंचने की संभावना है। 2023-24 में हालांकि गुड्स एक्सपोर्ट में 3% की गिरावट आई थी, लेकिन फिर भी आंकड़ा 778 बिलियन डॉलर तक पहुंचा।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन किरीट भंसाली ने कहा, “मार्च के अंतिम सप्ताह में एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल देखा गया।”

वहीं, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने बताया कि, “वो सेक्टर जिनमें एयर शिपमेंट संभव था, उन्होंने अमेरिका को तेजी से माल भेजा। मुझे उम्मीद है कि मार्च 2025 में भारत का एक्सपोर्ट 40 बिलियन डॉलर से अधिक होगा।”

15 अप्रैल को आएंगे आधिकारिक आंकड़े

व्यापार से जुड़े यह आकंड़े 15 अप्रैल को आधिकारिक रूप से जारी किए जाएंगे, लेकिन जो शुरुआती ट्रेंड सामने आया है, वह यह संकेत देता है कि टैरिफ की धमकी ने एक्सपोर्ट को अप्रत्याशित रूप से गति दी है।

निष्कर्ष: ट्रंप की टैरिफ नीति ने भले ही कंपनियों पर दबाव डाला हो, लेकिन भारत के लिए यह एक अवसर में बदल गया, जिससे देश अपने एक्सपोर्ट लक्ष्यों के करीब पहुंच सका – और शायद आगे निकल जाए।

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