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Monday, December 15, 2025

कांग्रेस के पूर्व सांसद Sajjan Kumar 1984 सिख दंगों के मामले में दोषी करार

Sajjan Kumar के खिलाफ मामला पहले पंजाबी बाग थाने में दर्ज किया गया था लेकिन बाद में यह जांच विशेष जांच दल ने की। अदालत ने 16 दिसंबर 2021 को उनके खिलाफ आरोप तय किए थे। अब 18 फरवरी को उनकी सजा तय की जाएगी।

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कांग्रेस के पूर्व सांसद Sajjan Kumar 1984 के सिख दंगों में दोषी ठहराया गया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया और सजा पर बहस के लिए 18 फरवरी की तारीख तय की है। यह मामला 1 नंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके में हुए पिता पुत्र की हत्या से जोड़ा है। विशेष जांच दल ने इस मामले की जांच की और बाद में Sajjan Kumar को गिरफ्तार कर लिया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान, जब पूर्व प्रधानमंत्री Indira Gandhi की हत्या के बाद हिंसा भड़की थी तब Sajjan Kumar ने भीड़ का नेतृत्व किया था। इस दौरान सिखों की संपत्तियों को लूटकर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया था।

आरोप है कि Sajjan Kumar ने हत्या की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में सक्रिय रूप से भाग लिया। विशेष रूप से सरस्वती विहार में Jaswant Singh और उनके बेटे Tarundeep Singh की हत्या कर दी गई और उनके घर को लूटने के बाद आग लगा दी गई और मारपीट कर घर के अन्य लोगों को भी घायल कर दिया था।

Sajjan Kumar पर साल 2021 में आरोप हुए थे तय

Sajjan Kumar के खिलाफ मामला पहले पंजाबी बाग थाने में दर्ज किया गया था लेकिन बाद में यह जांच विशेष जांच दल ने की। अदालत ने 16 दिसंबर 2021 को उनके खिलाफ आरोप तय किए, यह कहते हुए की ‘प्रथम दृष्टया’मामले में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। अदालत ने यह भी मन की Sajjan Kumar अपना केवल इस हिंसक घटना के हिस्से थे बल्कि उन्होंने उसे भीड़ का नेतृत्व भी किया था। अदालत ने 1 नवंबर 1984 को Jaswant Singh और उनके बेटे Tarundeep Singh की हत्या से संबंधित मामले में अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

तिहाड़ जेल में बंद हैं Sajjan Kumar

Sajjan Kumar वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है, इससे पहले वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए थे। इस मामले में सजा पर बहस 18 फरवरी को होगी और तब ही यह तय किया जाएगा कि उन्हें कितनी सजा मिलती है। 1984 के सिख दंगों के मामले में Sajjan Kumar की सजा का निर्णय पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि यह एक लंबी कानूनी लड़ाई का परिणाम है जो सिख समुदाय के लिए न्याय की प्रतीक्षा कर रहा था। बता दें की 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री Indira Gandhi कि उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी इसके बाद दंगे भड़क गए थे।

Indira Gandhi की हत्या का बदला लेने के लिए दिल्ली में भड़का था दंगा

अभियोजन पक्ष के अनुसार घातक हथियार लिए भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री Indira Gandhi की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्ति को नष्ट किया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया की भीड़ ने घर में घुसकर Jaswant Singh और उनके बेटे की हत्या कर दी और सामान लूटकर, घर के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट कर उनके घर को आज के हवाले कर दिया था।

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