ईद के दिन पाकिस्तान के कराची शहर में एक बड़ी वारदात सामने आई, जहां आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी और प्रमुख फाइनेंसर अब्दुल रहमान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क और उसकी आंतरिक राजनीति को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
हत्या की घटना और शुरुआती जानकारी
घटना कराची के एक पॉश इलाके में हुई, जब अब्दुल रहमान ईद की नमाज अदा करके अपने घर लौट रहे थे। जैसे ही वह अपनी गाड़ी में बैठे, तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर बाइक पर आए थे और उन्होंने बेहद नजदीक से रहमान को निशाना बनाया।
हमले के तुरंत बाद अब्दुल रहमान को पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी आतंकी संगठन या गुट ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
कौन था अब्दुल रहमान?
अब्दुल रहमान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति था। वह हाफिज सईद के सबसे करीबी लोगों में से एक था और पाकिस्तान में मौजूद विभिन्न आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता पहुंचाने का काम करता था।
रहमान पर भारत, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने कई प्रतिबंध लगाए थे, और उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया था। कहा जाता है कि वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए हवाला नेटवर्क का संचालन करता था।
हत्या के पीछे संभावित कारण
अब्दुल रहमान की हत्या को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह हत्या आतंकी संगठनों के बीच आपसी रंजिश का नतीजा हो सकती है। वहीं, कुछ का मानना है कि यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का आंतरिक सफाया हो सकता है, क्योंकि हाल के वर्षों में पाकिस्तान सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है।
इसके अलावा, यह भी संभव है कि किसी विदेशी एजेंसी ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया हो। भारत पहले भी पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए गुप्त अभियानों को अंजाम देता रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस हत्या के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। भारत ने इस घटना पर आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियां इस घटना पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र पहले ही पाकिस्तान पर कई बार आतंकियों को शरण देने के आरोप लगा चुका है, और यह घटना उसकी छवि को और खराब कर सकती है।
अब्दुल रहमान की हत्या पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है। यह घटना न केवल आतंकी संगठनों के अंदर की दरार को उजागर करती है, बल्कि पाकिस्तान में बढ़ती असुरक्षा को भी दर्शाती है। इस हत्याकांड के पीछे कौन है, यह तो आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन इतना तय है कि यह घटना पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों के लिए एक बड़ा संदेश है।