लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस चर्चा की टाइमिंग पर सवाल उठाकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् पर चर्चा होना अपने आप में अच्छी बात है, लेकिन जिस समय यह बहस कराई जा रही है, उससे यह भी प्रतीत होता है कि इसका उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में चुनाव नजदीक हैं।
हनुमान बेनीवाल ने साफ तौर पर कहा कि वे राष्ट्रभक्ति, आज़ादी के आंदोलन और वंदे मातरम् जैसे ऐतिहासिक नारे का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार इसे सही समय और सही भावना के साथ याद कर रही है या फिर इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब देश में बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दे मौजूद हैं, तब सरकार को प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।
“IndiGo से भाग गए थाईलैंड”
लोकसभा में बोलते हुए हनुमान बेनीवाल ने गोवा के अरपोरा इलाके में हुए नाइट क्लब आग हादसे का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि हादसे से जुड़े क्लब मालिक सौरव और गौरव लूथरा IndiGo की फ्लाइट से थाईलैंड फरार हो गए, जबकि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां उन्हें रोकने में पूरी तरह नाकाम रहीं।
बेनीवाल ने सरकार से तीखे सवाल पूछते हुए कहा, “इतने बड़े हादसे के आरोपी देश से बाहर कैसे चले गए? क्या एयरपोर्ट पर किसी ने उन्हें रोका? क्या जांच एजेंसियों को पहले से इसकी कोई जानकारी नहीं थी?” उन्होंने इसे सुरक्षा व्यवस्था और जांच तंत्र की गंभीर चूक बताया।
“नाइट क्लब में 27 लोगों की जान गई”
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ संसद में राष्ट्रगीत और राष्ट्रभावना पर बहस हो रही है, और दूसरी तरफ सरकार की नाक के नीचे से ऐसे गंभीर अपराध के आरोपी भाई थाईलैंड फरार हो जाते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि इस नाइट क्लब में लगी आग में 27 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी।
उन्होंने कहा कि इस हादसे में जिन युवाओं की जान गई, उनके परिवार आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आरोपी विदेश में आराम से बैठते हैं। यह पूरे सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है। सांसद ने कहा कि सरकार को केवल राष्ट्रवादी भाषणों से नहीं, बल्कि जमीनी कार्रवाई से भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
“सभी धर्मों के लोगों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी”
वंदे मातरम् पर बोलते हुए हनुमान बेनीवाल ने इसके ऐतिहासिक महत्व को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी की लड़ाई में सभी धर्मों और सभी वर्गों के लोगों ने मिलकर हिस्सा लिया था। वंदे मातरम् का नारा उस दौर में लोगों के भीतर अद्भुत जोश भर देता था।
उन्होंने कहा, “हमारे देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। बाहरी आक्रांताओं ने इस देश पर बार-बार आक्रमण किए, लेकिन आज़ादी के दीवाने वंदे मातरम् के नारे के साथ फांसी के फंदे तक झूल गए। इस नारे में इतनी ताकत है कि यह लोगों को मौत से भी डरा नहीं सका।”
बेनीवाल ने यह भी कहा कि वंदे मातरम् किसी एक धर्म, एक पार्टी या एक वर्ग का नारा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की साझा भावना का प्रतीक है। इसे राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।
चर्चा की टाइमिंग पर राजनीतिक संकेत?
हनुमान बेनीवाल का कहना है कि वंदे मातरम् जैसे भावनात्मक मुद्दों पर चर्चा तब और भी संवेदनशील हो जाती है, जब देश के किसी हिस्से में चुनावी माहौल हो। उनके अनुसार पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले इस तरह की बहस होना यह संकेत देता है कि सरकार इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को राष्ट्रभक्ति के प्रतीकों के साथ-साथ आम जनता की सुरक्षा, युवाओं के भविष्य और न्याय व्यवस्था को भी उतनी ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
सरकार की जवाबदेही पर जोर
गोवा हादसे को लेकर बेनीवाल ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मांग की कि फरार आरोपियों को जल्द से जल्द भारत लाकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके और देश में कानून का भरोसा कायम रहे।
लोकसभा में हनुमान बेनीवाल के इस बयान के बाद वंदे मातरम् की बहस एक नई राजनीतिक बहस में बदल गई है। अब देखना यह होगा कि सरकार गोवा हादसे के आरोपियों को लेकर क्या ठोस कदम उठाती है और सांसद के सवालों पर क्या जवाब देती है।
