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Tuesday, June 17, 2025

IIT के विद्यार्थियों ने एशिया का सबसे लंबा हाइपरलूप टेस्टिंग ट्यूब बनाया, अश्विनी वैष्णव ने वीडियो शेयर किया

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देश में परिवहन अब सिर्फ सड़क, रेल, हवाई जहाज और जल तक ही सीमित नहीं है। भारत में अब सेमी-हाई स्पीड ट्रेन और रैपिड ट्रेन हैं, जैसे वंदे भारत। इतना ही नहीं, अहमदाबाद और मुंबई के बीच एक बुलेट ट्रेन भी चलाया जाएगा, जिसका काम अभी भी चल रहा है। लेकिन भारतीय परिवहन यहीं नहीं रुकेगा। जी हां, भारत में भी हाइपरलूप का अध्ययन किया जा रहा है। हाल ही में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप टेस्टिंग फैसिलिटी का दौरा किया।

श्विनी वैष्णव ने कहा कि आईआईटी मद्रास का 410 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्यूब जल्द ही दुनिया का सबसे लंबा होगा और एशिया का सबसे लंबा है। बताते चलें कि इलॉन मस्क ने 2013 में पहली बार पूरी दुनिया को हाइपरलूप दिखाया था। हाइपरलूप टेक्नोलॉजी एक हाई स्पीड परिवहन प्रणाली है जो वैक्यूम-सील ट्यूब में पॉड्स को 1000 किमी प्रति घंटे से भी तेज स्पीड से चलाता है।

केंद्रीय मंत्री ने चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में हाइपरलूप के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स बनाने की योजना भी बताई, स्वदेशी टेक्नोलॉजी के विकास में भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए। हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह बदल सकता है। मंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आईआईटी मद्रास में हुए हाइपरलूप के प्रत्यक्ष प्रदर्शन का एक वीडियो भी शेयर किया है।

रेल मंत्री श्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की चर्चा करते हुए कहा कि हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट के लिए सभी जांच प्रणाली स्वदेशी तकनीक से बनाई गई हैं। यह भारत की आत्मनिर्भरता की कोशिशों का प्रतीक है, जिसमें आईआईटी मद्रास सहित कई भारतीय संस्थानों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने इस परियोजना में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को बधाई दी और उनके काम की सराहना की। श्विनी वैष्णव ने कहा कि स्वदेशी तकनीकी विकास भारत की तकनीकी क्षमता को बढ़ाकर देश की वैश्विक स्थिति को मजबूत करेगा।

हाइपरलूप जैसी भविष्यवादी तकनीक को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण कदम है, इसलिए यह भारत के लिए एक बड़ा उपलब्धि है। साथ ही, यह भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो आने वाले समय में विज्ञान और तकनीक में नए आयाम बना सकती है।

 

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