भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने पहले फिफ्थ-जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट — Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) — के निर्माण मॉडल को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय देश की वायु शक्ति को बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
27 मई को रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के “Execution Model” को स्वीकृति दी है। मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय भारत में एक मजबूत एयरोस्पेस इंडस्ट्री और आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की ओर एक बड़ा प्रयास है।
भारत को क्यों चाहिए अपना फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट?
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब खबरें हैं कि चीन अपने J-35 स्टील्थ फाइटर जेट पाकिस्तान को देने की तैयारी कर रहा है। साथ ही चीन अपने छठी पीढ़ी (sixth-generation) के फाइटर जेट जैसे J-36 और J-50 पर भी तेजी से काम कर रहा है। ऐसे में भारत के लिए तकनीकी और सामरिक रूप से मजबूत फाइटर जेट विकसित करना एक रणनीतिक जरूरत बन चुका है।
इस समय भारतीय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। अगले दस सालों में 8 से ज्यादा स्क्वाड्रन सेवा से बाहर हो सकते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए AMCA प्रोजेक्ट बेहद अहम है।
क्या है AMCA और इसकी खासियतें?
AMCA एक 25 टन वजनी ट्विन-इंजन स्टील्थ फाइटर जेट होगा, जो भारत में पूरी तरह से विकसित किया जा रहा है। इसमें Divertless Supersonic Intake जैसी स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह विमान दुश्मन के रडार से बच सकता है, बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक स्पीड में उड़ सकता है और नेटवर्क आधारित युद्ध प्रणाली से जुड़ सकता है।
Dr. Krishna Rajendra Neeli, जो AMCA प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हैं, ने बताया कि यह विमान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध फाइटर जेट्स से मुकाबला करेगा, और कई मामलों में उन्हें पीछे छोड़ सकता है।
AMCA में चार लॉन्ग-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें और कई प्रिसिजन गाइडेड बम ले जाने की क्षमता होगी। इससे यह विमान किसी भी युद्ध परिदृश्य में पूरी तरह सक्षम होगा।
विकास और निर्माण की योजना
Aeronautical Development Agency (ADA) इस प्रोजेक्ट को लीड कर रही है। योजना के अनुसार पहला प्रोटोटाइप 2031 तक तैयार किया जाएगा और सीरियल प्रोडक्शन 2035 से शुरू होने की उम्मीद है।
मार्च 2023 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने इस परियोजना को शुरुआती तौर पर ₹15,000 करोड़ की मंजूरी दी थी। इसके अंतर्गत पांच प्रोटोटाइप बनाए जाएंगे।
AMCA के निर्माण में HAL, Tata, Adani, L&T जैसे प्रमुख सरकारी और निजी क्षेत्र के उद्योगों को शामिल किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस मॉडल में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को समान अवसर मिलेंगे।
तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट बनाना केवल स्टील्थ डिजाइन तक सीमित नहीं है। इसके लिए आधुनिक इंजन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और अत्याधुनिक नेटवर्किंग तकनीकों की जरूरत होती है।
Defence Research and Development Organisation (DRDO) पहले से ही स्वदेशी Kaveri इंजन पर काम कर रहा है, जिसे भविष्य में AMCA में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस प्रोजेक्ट के जरिए सरकार की ‘Make in India’ पहल को भी मजबूती मिलेगी और भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम साबित होगा।