नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा है कि अगर देश के संविधान का सम्मान किया जाना है, तो जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार के उस फैसले पर सवाल खड़े किए, जिसके तहत छह साल पहले 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुसार राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों में नहीं बदला जाना चाहिए, बल्कि केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा दिया जाता है, लेकिन उल्टा किया गया। उन्होंने पूछा कि इससे क्या हासिल हुआ?
अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के वक्त वादा किया गया था कि इससे आतंकवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन आज भी हालात जस के तस हैं, बल्कि कई जगह आतंकवाद बढ़ा है। उन्होंने पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि अगर सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय सरकार के पास होती तो इस हमले को रोका जा सकता था। उन्होंने उपराज्यपाल द्वारा सुरक्षा में हुई चूक को स्वीकार किये जाने की सराहना की, लेकिन कहा कि उचित कार्रवाई के तौर पर उन्हें इस्तीफा देना चाहिए था।
उन्होंने यह भी बताया कि सभी विपक्षी दल संसद में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं और प्रधानमंत्री को भी इस बाबत पत्र लिखा गया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने संसद व उच्चतम न्यायालय में राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया।
अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की राज्यसभा की चार सीटों के लंबे समय से खाली रहने पर भी चिंता जताई और निर्वाचन आयोग से सवाल किया कि आखिर चुनाव क्यों नहीं कराए गए। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि शांतिपूर्ण समाधान ही भारत, पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर के लोगों के हित में होगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य का दर्जा बहाल करना जम्मू कश्मीर के लोगों का संवैधानिक अधिकार है और इस संघर्ष को वे आगे भी जारी रखेंगे।