13 मई 2008 को जयपुर के माणक चौक, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़ समेत 8 स्थानों पर हुए सीरियल ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हुई और 185 से अधिक घायल हुए। ये धमाके 12 मिनट के भीतर हुए, जिनमें नौवां बम चांदपोल बाजार में बरामद हुआ, लेकिन उसे निष्क्रिय कर दिया गया।
17 साल के लंबे संघर्ष के बाद विशेष अदालत ने 8 अप्रैल 2025 को सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने 600 पेज के फैसले में भारतीय दंड संहिता, यूएपीए और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत सजा का ऐलान किया।
पीड़ित परिवारों ने इस फैसले को “न्याय की जीत” बताया। हालांकि 2019 में तीन दोषियों को फांसी की सजा मिली थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। चांदपोल बाजार के जिंदा बम केस में सजा से शहरवासियों को न्याय में नई आस जगी है।