कोलकाता के एक होटल में बुधवार को लगी भीषण आग ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और पीड़ितों के परिवारों के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि वह “जीवन की हानि से दुःखी हैं” और घटना के पीड़ितों के परिवारों को हर संभव सहायता देने का वादा किया।
कोलकाता होटल की आग ने उठाए सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह आग एक होटल में लगी, जिसमें कई लोग फंसे हुए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, आग लगने के बाद कई मेहमान होटल की छत की ओर भागे और फोन की फ्लैशलाइट्स से मदद के लिए संकेत देने लगे। कुछ लोगों को अपनी खिड़की से बाहर लटकते हुए देखा गया, ताकि वे आग से बच सकें। दमकलकर्मियों ने हाइड्रॉलिक सीढ़ियों का इस्तेमाल कर कई फंसे हुए लोगों को बचाया। पुलिस के अनुसार, अधिकांश पीड़ित वह लोग थे जो अपने कमरों से बाहर नहीं निकल सके।
घटना के बाद, कोलकाता के पुलिस प्रमुख, मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि विशेष जांच दल (SIT) यह पता लगाएगा कि होटल के मेहमानों को निकासी में किस प्रकार की समस्याएं आईं और क्या आग बुझाने के रास्ते कार्यशील थे। यह घटना एक बार फिर से उन सुरक्षा मानकों और उपायों पर सवाल खड़ा करती है जो भारत के शहरों में अक्सर उपेक्षित रहते हैं।
आग की घटनाएं और सुरक्षा मानकों की कमी
भारत के विभिन्न शहरों में आग की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। कमजोर योजना और सुरक्षा नियमों के पालन में ढिलाई के कारण कई मौतें हो चुकी हैं। पिछले साल गुजरात के पश्चिमी राज्य में एक खेल आर्केड में लगी आग में कम से कम 27 लोग मारे गए थे। इसके बाद, उत्तर प्रदेश राज्य में झांसी जिले के एक अस्पताल के नवजात इकाई में लगी आग में 10 नवजातों की जान चली गई थी।
कोलकाता में हुई यह घटना भी इस गंभीर समस्या को उजागर करती है, जहां सुरक्षा मानकों के पालन में भारी कमी दिखाई देती है। अगर होटल के आग बुझाने वाले रास्ते और आपातकालीन निकासी प्रणाली सही तरीके से काम कर रही होती, तो इस दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था। इस घटना से यह साफ हो गया है कि सही समय पर सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति कितनी घातक हो सकती है।
राज्य सरकार पर उठे सवाल, विपक्ष ने की आलोचना
पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार द्वारा घटना की निंदा की गई, और सामाजिक कल्याण मंत्री शशि पांजा ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण घटना” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि आग बुझाने वाली टीम ने सभी को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ लोगों की मौत अफरा-तफरी और दम घुटने के कारण हुई।
वहीं, राज्य के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और केंद्रीय मंत्री सु्कांत मजूमदार ने राज्य सरकार की आलोचना की है। उन्होंने आग सुरक्षा उपायों की कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता की बात की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि ऐसी दुर्घटनाएं फिर से न हों।
अगले कदम और भविष्य के लिए सुरक्षा उपाय
कोलकाता में हुई इस भयावह घटना ने एक बार फिर से आग सुरक्षा मानकों और उनकी निगरानी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। विशेष रूप से होटल, शॉपिंग मॉल, अस्पताल जैसे स्थानों पर जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, वहां सुरक्षा उपायों की नियमित जांच और सुधार बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हर इमारत में आपातकालीन निकासी द्वार, अग्निशमन उपकरण, और सुरक्षा टीम की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पीड़ितों के लिए घोषित वित्तीय सहायता और घटना पर गहरा शोक व्यक्त करने से यह स्पष्ट है कि सरकार ऐसी घटनाओं के प्रति गंभीर है। हालांकि, यह घटनाएं तब तक रुक नहीं सकतीं जब तक शहरों में सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता नहीं दी जाती और उनके पालन को लेकर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती।