पंजाब की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया पर निशाना साधा। जाखड़ का आरोप है कि मनीष सिसोदिया, जो दिल्ली की शराब नीति घोटाले में फंसे हुए हैं, चंडीगढ़ में रहकर पंजाब की नई शराब नीति तैयार कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह नई नीति आज ही पंजाब कैबिनेट में पेश की जाएगी।
भाजपा नेताओं द्वारा उठाए गए आरोपों के बाद से पंजाब की नई शराब नीति को लेकर विवाद गहरा गया है। सुनील जाखड़ के बयान से यह साफ हो गया है कि विपक्षी दल पंजाब में दिल्ली की शराब नीति के मॉडल को लागू करने की कोशिशों को लेकर काफी सशंकित हैं।
सुनील जाखड़ का बयान
सुनील जाखड़ ने अपने वीडियो में कहा, “हो सकता है कि मनीष सिसोदिया की चंडीगढ़ में मौजूदगी से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की रातों की नींद उड़ गई हो और उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया हो।” उनका यह बयान इस संकेत के साथ आया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं को यह डर सता रहा है कि मनीष सिसोदिया की चंडीगढ़ में उपस्थिति से उनकी सरकार की छवि को नुकसान हो सकता है।
उन्होंने तंज करते हुए कहा, “सिसोदिया ही पंजाब की नई शराब नीति तैयार कर रहे हैं, जो आज पंजाब कैबिनेट के सामने रखी जाएगी।” इस बयान के बाद से पंजाब में शराब नीति को लेकर राजनीति और भी गर्म हो गई है। जाखड़ ने यह भी कहा कि मनीष सिसोदिया की भूमिका के कारण पंजाब में शराब नीति को लेकर एक तरह की घेराबंदी हो रही है, और यह आम आदमी पार्टी के लिए एक राजनीतिक संकट बन सकता है।
May be it is the presence of Sh. Manish Sisodia ji in Chandigarh for last couple of days that has caused sleepless nights and heightened blood pressure to Punjab Chief minister. Because Sisodia ji has been preparing the Punjab liquor policy, to be presented before the Punjab… pic.twitter.com/DILio1AZbZ
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) February 27, 2025
इसके साथ ही जाखड़ ने पंजाब के आबकारी मंत्री हरपाल सिंह चीमा को भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “चीमा साहिब, सावधान रहें, कहीं आपका हाल भी मनीष सिसोदिया जैसा न हो जाए।” इस बयान में जाखड़ ने एक बार फिर मनीष सिसोदिया के दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार होने और उन पर लगे आरोपों का जिक्र किया, जिससे पंजाब सरकार पर दबाव बढ़ गया है।
दिल्ली शराब नीति और मनीष सिसोदिया का मामला
मनीष सिसोदिया, जो आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, दिल्ली में शराब नीति घोटाले में नामित हुए हैं। उनकी गिरफ्तारी ने पंजाब में राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है। भाजपा का आरोप है कि दिल्ली में लागू की गई शराब नीति में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था, जिसमें सिसोदिया का सीधा हाथ था। इस मामले में मनीष सिसोदिया को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, और वह अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं।
अब पंजाब में नई शराब नीति को लेकर सिसोदिया की भूमिका पर भाजपा के नेताओं ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि दिल्ली की शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए पंजाब सरकार को इस नीति को लागू करने से पहले सावधान रहना चाहिए। भाजपा ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में भी वही भ्रष्टाचार से भरा शराब नीति लागू करने की कोशिश कर रही है, जो दिल्ली में लागू की गई थी।
पंजाब की नई शराब नीति और AAP का रुख
पंजाब सरकार का कहना है कि वह राज्य में शराब की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए एक नई नीति लेकर आ रही है, जो राजस्व बढ़ाने और तस्करी पर काबू पाने में मदद करेगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस नीति को लेकर कई बार अपनी सरकार की योजनाओं की घोषणा की है और दावा किया है कि यह नीति पंजाब के लिए फायदेमंद साबित होगी। हालांकि, भाजपा और अन्य विपक्षी दल इसे लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं।
पंजाब सरकार का कहना है कि शराब नीति को लेकर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की कोई संभावना नहीं है और यह पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से लागू की जाएगी। हालांकि, भाजपा नेताओं का आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जिस तरह की शराब नीति को लागू किया, उसी तरह की नीति पंजाब में लागू करने की योजना बनाई है, जो राज्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
भाजपा का कहना है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले की वजह से सिसोदिया और उनके साथियों पर गंभीर आरोप लगे हैं, और अब पंजाब में उसी मॉडल को लागू करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा के अनुसार, पंजाब में शराब नीति को लेकर यदि कोई गड़बड़ी होती है, तो इसका पूरा ठीकरा आम आदमी पार्टी की सरकार पर फूटेगा।
पंजाब में चुनावी राजनीति और शराब नीति
पंजाब की राजनीति में शराब नीति को लेकर उठ रहे विवादों के बीच, यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा बड़ा बन सकता है। भाजपा के नेता इसे अपनी राजनीतिक पूंजी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि आम आदमी पार्टी इस नीति को राज्य में विकास और राजस्व के लिए एक सकारात्मक कदम के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है।
राज्य में शराब नीति के बदलाव का असर न सिर्फ राजनीति पर, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों पर भी पड़ सकता है। विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार और राज्य के संसाधनों का गलत उपयोग मान रहे हैं, जबकि सरकार इसे लोगों के लाभ के लिए एक जरूरी कदम बता रही है।