दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब पहली बार पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों ने भारत के नागरिक के रूप में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद इन शरणार्थियों ने अपने जीवन में पहली बार मतदान किया। यह न केवल उनके लिए बल्कि भारत के लोकतंत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण था।
दिल्ली के मजनू का टीला स्थित मतदान केंद्र पर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी मतदान करने पहुंचे। 50 वर्षीय Reshma, जो पहली बार मतदान कर रही थीं, उन्होंने कहा कि यह उनके लिए केवल एक उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने का एक अवसर था। इसी तरह, पहली बार भारत में मतदान कर रही Dhanwati ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे भारत की नागरिक हैं और इस अधिकार का उपयोग कर पा रही हैं।
2013 में पाकिस्तान से भारत आए Shankar ने भी पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले महीने ही वोटर कार्ड मिला था और पहली बार वोट डालकर वह बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। शरणार्थी कैंप के अध्यक्ष Dharmveer Solanki ने उम्मीद जताई कि अब उनका संघर्ष कम हो सकता है और उन्हें स्थायी घर और रोज़गार का स्थायी साधन मिल सकेगा।
पाकिस्तान से आए 186 हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता दी गई है। इन लोगों के लिए यह कानून एक नई उम्मीद लेकर आया, क्योंकि वर्षों तक पहचान और अधिकारों के बिना संघर्ष करने के बाद अब वे भारतीय समाज का हिस्सा बन सके हैं। 27 वर्षीय Yashoda, जिन्हें सबसे पहले भारत की नागरिकता मिली थी, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का भी अवसर पाया। उन्होंने मतदान केंद्र के बाहर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब उन्हें उचित नौकरी, घर और सम्मानजनक जीवन मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्टों के अनुसार, हर साल करीब 1,000 से 2,000 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी भारत में प्रवेश करते हैं। वे मुख्य रूप से धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्म परिवर्तन और हिंसा के कारण पाकिस्तान छोड़ने को मजबूर होते हैं। सबसे अधिक शरणार्थी राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली में बसते हैं। 2019 में पारित CAA के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
नागरिकता संशोधन अधिनियम उन शरणार्थियों के लिए वरदान साबित हुआ जो दशकों से भारत में बिना पहचान के रह रहे थे। इसके तहत उन्हें भारतीय नागरिकता, मताधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं। यह अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को राहत देता है, जो इन देशों में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 केवल राजनीतिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं रहा, बल्कि यह उन हजारों पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के लिए भी ऐतिहासिक दिन था जिन्होंने पहली बार भारत में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। CAA के लागू होने से इन लोगों को एक स्थिर जीवन और भविष्य की नई उम्मीद मिली है। आने वाले वर्षों में इस कानून के तहत और भी अधिक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद है, जिससे वे भारतीय समाज के मुख्यधारा में शामिल हो सकेंगे।