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Friday, May 2, 2025

जातीय जनगणना पर सियासत गरमाई, LJP (Ramvilas) ने तेजस्वी यादव पर साधा निशाना

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देश में केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस फैसले का श्रेय लेने की होड़ में जुट गए हैं। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है।

लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने कहा है कि जिस वक्त देश पहलगाम आतंकी हमले से स्तब्ध है, उस समय तेजस्वी यादव मिठाइयां बांट रहे हैं और पटाखे फोड़ रहे हैं, केवल जातीय जनगणना का क्रेडिट लेने के लिए। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ऐसा बर्ताव कर रहे हैं मानो देश में कुछ हुआ ही नहीं। उन्होंने पूछा कि क्या तेजस्वी यादव पहलगाम में हुए उस भयावह हमले को भूल चुके हैं, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे?

अरुण भारती ने दावा किया कि जातीय जनगणना का निर्णय केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का है और यह फैसला चिराग पासवान के सतत प्रयासों से संभव हो पाया है। उन्होंने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब वह बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने खुद ही कहा था कि जातीय जनगणना कराकर लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। अब वही नेता इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं।

लोजपा सांसद ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को संविधानिक रूप से जातीय जनगणना कराने का अधिकार नहीं है, यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है। उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कांग्रेस सरकार ने सिर्फ तीन महीने में एक फर्जी सर्वे करवाकर विधानसभा में बिल पास कर दिया और 69 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही, जबकि जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है। यह अब सिर्फ एक राजनीतिक हथकंडा बनकर रह गया है।

अरुण भारती ने कहा कि तेलंगाना सरकार अब उस फैसले को लागू करने के लिए इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग कर रही है, जो वर्तमान परिस्थिति में संभव नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दल केवल राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर जातीय जनगणना जैसे गंभीर विषय को सियासी रंग दे दिया है। जहां एक ओर केंद्र सरकार इस पर गंभीरता से काम करने की बात कर रही है, वहीं विपक्ष इसे अपना मुद्दा बताकर जनता के बीच राजनीतिक फायदा उठाने में जुटा है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में जातीय जनगणना का यह मुद्दा किस दिशा में जाता है और इसके सामाजिक व राजनीतिक प्रभाव क्या होंगे।

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