दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों का बढ़ता प्रवाह दिल्ली-एनसीआर के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक ढांचे को प्रभावित कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रवास के कारण मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध प्रवासियों की वजह से दिल्ली में जनसंख्या घनत्व बढ़ा है, जिससे संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। इससे न केवल शहर की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, बल्कि अपराध दर में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन प्रवासियों के कारण अवैध गतिविधियों और अपराधी नेटवर्क को बढ़ावा मिला है।
राजनीतिक संरक्षण और चुनावी धांधली का आरोप
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण इन अवैध प्रवासियों को न केवल बसने में मदद मिली है, बल्कि उन्हें मतदाता सूची में भी शामिल किया गया है। इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो लोकतांत्रिक प्रणाली प्रभावित हो सकती है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध प्रवासियों के कारण जनसंख्या वृद्धि से स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव बढ़ा है। इन प्रवासियों के अनियंत्रित बस्तियों में रहने से स्वच्छता की स्थिति बिगड़ी है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, अवैध बसावट से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है, क्योंकि कचरा निस्तारण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
दिल्ली की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप
रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी नेता संबित पात्रा ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी की भूमिका अवैध प्रवास को बढ़ावा देने में अहम रही है। उन्होंने दावा किया कि आप सरकार इन प्रवासियों के लिए फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनवाने में मदद कर रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को जिम्मेदार ठहराया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अब तक एक ठोस आव्रजन नीति नहीं बन पाई है, जिससे इस समस्या का प्रभावी समाधान संभव नहीं हो पा रहा है। बांग्लादेश और म्यांमार से आ रहे प्रवासियों को लेकर भारत सरकार को अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर ठोस नीति बनानी होगी ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सके।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अवैध प्रवासियों की सही जानकारी और आंकड़े जुटाने में भी कठिनाई हो रही है, जिससे नीति निर्धारण में बाधा उत्पन्न हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा ताकि दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अवैध प्रवास को नियंत्रित किया जा सके।
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