मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में लगातार दूसरे सत्र में गिरावट दर्ज की गई। बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई। सेंसेक्स के कुल 30 स्टॉक्स में से 27 में गिरावट देखी गई। प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), इन्फोसिस और HDFC बैंक ने प्रमुख रूप से दबाव डाला। आइए जानते हैं कि बाजार में यह गिरावट क्यों आई।
गिरावट के कारण:
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक:
निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 18 दिसंबर को होने वाली बैठक से ब्याज दरों में कटौती के संकेतों को लेकर सतर्क हैं। वैश्विक बाजार फेड के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, बाजार पहले ही 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती की उम्मीद कर रहा है, इसलिए फेड प्रमुख की टिप्पणियों पर ध्यान दिया जाएगा। यदि कोई अप्रत्याशित या सख्त टिप्पणी आती है, तो यह बाजार के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक हो सकता है। - अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था:
US सर्विसेज PMI (Purchasing Managers’ Index) 58.5 प्रतिशत के मजबूत स्तर पर आया, जो एक मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत है और यह बाजार के लिए एक सकारात्मक पहलू है। - घरेलू चिंता:
घरेलू स्तर पर, रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेश में कमी ने चिंता पैदा की है। अक्टूबर में भारत का व्यापार घाटा 27.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर नवंबर में रिकॉर्ड 37.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। यह आंकड़ा 23 बिलियन डॉलर के अनुमान से भी अधिक था। इससे व्यापार घाटे की बढ़ती चिंता और रुपये की गिरावट पर सवाल उठने लगे हैं। - विदेशी बाजारों की स्थिति:
आज एशियाई बाजारों में भी 1 प्रतिशत तक गिरावट आई, जिसमें कमजोर चीनी आर्थिक आंकड़े और अमेरिकी फेड के जरिए ब्याज दरों में कटौती के मुकाबले महंगाई का डर शामिल है, जिससे बाजार भावना प्रभावित हुई।
निवेशकों के लिए सुझाव:
ICICI Securities के अनुसार, निफ्टी 500/निफ्टी 100 के रेश्यो चार्ट में 6 महीने की स्थिरता से ब्रेकआउट देखा जा रहा है, जो संकेत देता है कि व्यापक बाजार भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेगा। बाजार में गिरावट के बाद, यह समय निवेशकों के लिए खरीदारी का अवसर हो सकता है। तेजी के बाद, बाजार में सुधार होने पर निवेश करना समझदारी होगी।