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Tuesday, June 17, 2025

उत्तर प्रदेश सरकार की कुंभ में विफलता पर शंकराचार्य का कड़ा हमला, आरोपों का सिलसिला जारी

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प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान प्रदूषण की बढ़ती समस्या, प्रशासनिक विफलता और अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने एक बार फिर इस मुद्दे को तूल दे दिया है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ी और नदी के जल में प्रदूषण का स्तर अस्वीकार्य रूप से बढ़ा। इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन पर घेराबंदी हो रही है और अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक ढांचे और उसकी कार्यप्रणाली पर कड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की कुप्रबंधन की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आस्था, जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताया।

प्रशासन की विफलता और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में स्थिति इस हद तक बिगड़ी कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुले तौर पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “महाकुंभ के दौरान, लाखों लोग धर्म की आस्था के चलते यहाँ आते हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। यह एक गंभीर कुप्रबंधन है।”

स्वामी ने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रचार में तो खूब पैसा खर्च किया, लेकिन वास्तविक व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। “आपने कुंभ के पहले नालों को क्यों नहीं बंद किया? क्यों नदी की सफाई नहीं की गई? जब आपने व्यवस्था बनाई थी, तो यह सब किसके लिए किया गया था? क्या आप केवल प्रचार के लिए यह आयोजन कर रहे थे?” उन्होंने आगे कहा। यह बयान यूपी सरकार की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़ा करता है और उनकी नाकामी को उजागर करता है।

फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया और जल प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने बताया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा नदी के पानी में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ गई थी। यह बैक्टीरिया जल के गुणवत्ता स्तर को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान विभिन्न स्थानों पर गंगा के जल का गुणवत्ता स्तर स्नान के लिए उपयुक्त नहीं था। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासन ने नदी की सफाई और जल गुणवत्ता के संबंध में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए, जबकि लाखों श्रद्धालु नदी में स्नान करने के लिए पहुंचे थे।

शंकराचार्य का सरकार पर हमला

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यूपी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस आयोजन से जुड़े प्रचार को लेकर जितना हल्ला मचाया गया, वह पूरी तरह से झूठा था। “आपने 144 साल तक सबको डराया, लेकिन किसी भी आवश्यक व्यवस्था को लागू नहीं किया। नालों की सफाई क्यों नहीं की गई? सुरक्षा के लिए कोई वैकल्पिक योजना क्यों नहीं बनाई गई?” उन्होंने सवाल उठाया। उनका कहना था कि यह आयोजन करोड़ों लोगों की आस्था और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा था।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि सरकार ने लाखों श्रद्धालुओं को बिना किसी ठोस योजना के बुलाया। “इस महाकुंभ में कोई वैकल्पिक तैयारी नहीं की गई। क्राउड मैनेजमेंट का पालन नहीं किया गया, सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं थे। भगदड़ में हुई मौतों का आंकड़ा छुपाना बेहद घोर पाप है।” उनका यह बयान राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है और प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा करता है।

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान प्रदूषण की बढ़ती समस्या, प्रशासनिक विफलता और अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने एक बार फिर इस मुद्दे को तूल दे दिया है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ी और नदी के जल में प्रदूषण का स्तर अस्वीकार्य रूप से बढ़ा। इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन पर घेराबंदी हो रही है और अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक ढांचे और उसकी कार्यप्रणाली पर कड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की कुप्रबंधन की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आस्था, जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताया।

प्रशासन की विफलता और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में स्थिति इस हद तक बिगड़ी कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुले तौर पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “महाकुंभ के दौरान, लाखों लोग धर्म की आस्था के चलते यहाँ आते हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। यह एक गंभीर कुप्रबंधन है।”

स्वामी ने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रचार में तो खूब पैसा खर्च किया, लेकिन वास्तविक व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। “आपने कुंभ के पहले नालों को क्यों नहीं बंद किया? क्यों नहीं नदी की सफाई की गई? जब आपने व्यवस्था बनाई थी, तो यह सब किसके लिए किया गया था? क्या आप केवल प्रचार के लिए यह आयोजन कर रहे थे?” उन्होंने आगे कहा। यह बयान यूपी सरकार की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़ा करता है और उनकी नाकामी को उजागर करता है।

फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया और जल प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने बताया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा नदी के पानी में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ गई थी। यह बैक्टीरिया जल के गुणवत्ता स्तर को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान विभिन्न स्थानों पर गंगा के जल का गुणवत्ता स्तर स्नान के लिए उपयुक्त नहीं था। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासन ने नदी की सफाई और जल गुणवत्ता के संबंध में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए, जबकि लाखों श्रद्धालु नदी में स्नान करने के लिए पहुंचे थे।

शंकराचार्य का सरकार पर हमला

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यूपी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस आयोजन से जुड़े प्रचार को लेकर जितना हल्ला मचाया गया, वह पूरी तरह से झूठा था। “आपने 144 साल तक सबको डराया, लेकिन किसी भी आवश्यक व्यवस्था को लागू नहीं किया। नालों की सफाई क्यों नहीं की गई? सुरक्षा के लिए कोई वैकल्पिक योजना क्यों नहीं बनाई गई?” उन्होंने सवाल उठाया। उनका कहना था कि यह आयोजन करोड़ों लोगों की आस्था और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा था।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि सरकार ने लाखों श्रद्धालुओं को बिना किसी ठोस योजना के बुलाया। “इस महाकुंभ में कोई वैकल्पिक तैयारी नहीं की गई। क्राउड मैनेजमेंट का पालन नहीं किया गया, सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं थे। भगदड़ में हुई मौतों का आंकड़ा छुपाना बेहद घोर पाप है।” उनका यह बयान राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है और प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा करता है।

उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर महाकुंभ के आयोजन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने इस विशाल धार्मिक आयोजन के दौरान कोई प्रभावी योजना नहीं बनाई, जिसके कारण लाखों श्रद्धालु असुविधा का सामना कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुंभ के पहले प्रशासन ने नालों की सफाई या प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए, जबकि लाखों लोग नदी में स्नान के लिए पहुंचे थे। इसके अलावा, स्वामी ने अखिलेश यादव के बयान पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि कुंभ नहीं होता तो इस आयोजन का बजट क्यों तैयार किया गया था। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब सरकार को इतनी बड़ी व्यवस्था करनी थी, तो क्यों उसे बिना तैयारी के आयोजित किया गया? इन सब मुद्दों ने प्रदेश सरकार और दोनों प्रमुख नेताओं की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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