29.1 C
Delhi
Thursday, May 1, 2025

TERRORIST का कैंसर अब पाकिस्तान के राजनीतिक शरीर को खा रहा है: जयशंकर

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को 19वें नानी ए. पालखीवाला मेमोरियल लेक्चर में भारत की विदेश नीति और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की। जयशंकर ने छोटे पड़ोसी देशों, विशेष रूप से श्रीलंका, म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ भारत के समर्थन के प्रयासों को प्रमुखता दी, जबकि पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद के निरंतर समर्थन के कारण अपवाद के रूप में रखा।

संकट के समय में भारत का योगदान

मंत्री ने कहा कि भारत की पड़ोसी नीति विभाजन के बाद से ही आकार ले रही है और देश एक उदार दृष्टिकोण से अपने रिश्तों को पुनर्निर्मित कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि संकट के समय जैसे महामारी या आर्थिक मंदी में भारत ने अपने छोटे पड़ोसी देशों के लिए सहायक भूमिका निभाई है। 2023 में श्रीलंका के वित्तीय संकट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की, जब वैश्विक समर्थन की कमी थी।

पाकिस्तान के साथ रिश्तों में चुनौती

जयशंकर ने बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रमों का भी उल्लेख किया और बताया कि निकट सहयोग से जटिल समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। पाकिस्तान के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमा पार आतंकवाद के समर्थन के कारण दोनों देशों के रिश्तों में सुधार एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को भी इस मुद्दे से नुकसान हो रहा है।

म्यांमार और अफगानिस्तान: भारत के ऐतिहासिक रिश्ते

म्यांमार और अफगानिस्तान के साथ भारत के ऐतिहासिक रिश्तों पर चर्चा करते हुए, जयशंकर ने पड़ोसी देशों के हितों को समझने और उनका सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक चुनौतियों, जैसे बाजार साधनों और वित्तीय संस्थानों के शस्त्रीकरण, पर भी ध्यान केंद्रित किया।

भारत की विदेश नीति का समग्र दृष्टिकोण

जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के व्यापक दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला, जिसमें आंतरिक विकास, आधुनिकीकरण और सुधारों की आवश्यकता को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में कदम उठाने चाहिए। मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत भले ही गैर-पश्चिमी है, लेकिन इसके रणनीतिक हित इसे पश्चिम विरोधी नहीं बनाते हैं।

भारत की उभरती विदेश नीति: चुनौतियां और अवसर

जयशंकर का यह संबोधन भारत की उभरती विदेश नीति के महत्व और चुनौतियों को उजागर करता है, जिसमें देश के क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक प्रभाव के लिए रणनीतियों पर जोर दिया गया है।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!