अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। इसके तहत उन लोगों और उनके परिवार के सदस्यों पर फाइनेंसियल और वीज़ा पाबंदी लगेगी जो अमेरिकी नागरिकों या उनके सहयोगियों के खिलाफ ICC की जांच में शामिल होंगे।
यह कदम ICC के उस फैसले के जवाब में आया है, जिसमें पिछले साल इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए थे। इन वारंटों में नेतन्याहू और गैलेंट पर गाजा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया था।
इस फैसले की अमेरिकी कांग्रेस के दोनों दलों – रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स – ने आलोचना की थी। आलोचकों का कहना है कि ICC ने इज़राइली नेतृत्व और आतंकवादी संगठन हमास के नेताओं को एक जैसा दिखाने की कोशिश की, जो गलत है। हालांकि अमेरिका और इज़राइल ICC के सदस्य नहीं हैं, लेकिन यह वारंट उन्हें 124 सदस्य देशों की यात्रा करने में कठिनाई पैदा कर सकते हैं।
इज़राइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने ICC के वारंट को “बेतुका और यहूदी विरोधी” करार दिया है। इस बीच नेतन्याहू वॉशिंगटन दौरे पर हैं और उन्होंने व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात की। ट्रंप ने इस दौरान कहा कि अमेरिका गाजा पट्टी का “नियंत्रण” ले सकता है। यह बयान संकेत देता है कि यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने तो नेतन्याहू को नीतियों में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है।
ट्रंप ने एक दूसरा कार्यकारी आदेश भी जारी किया, जिसमें “क्रिस्चियन विरोधी भेदभाव” को खत्म करने के लिए नई टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉंडी इस टास्क फोर्स का नेतृत्व करेंगी और धार्मिक पक्षपात को खत्म करने के लिए काम करेंगी।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ICC के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी और अफगान सेनाओं के कथित युद्ध अपराधों की जांच के लिए ICC अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे।
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