भारत कुमार के नाम से मशहूर अभिनेता और फिल्म निर्माता Manoj Kumar का शुक्रवार को 87 साल की उम्र में निधन हो गया। Manoj Kumar के भारत कुमार नाम होने की भी एक रोचक कहानी है जैसा लोग बताते है की उनके द्वारा इतनी ज्यादा देश भक्त फिल्मों का निर्माण किया गया था की उनको लोग प्यार से भारत कुमार बुलाने लगे थे लंबी बीमारी से जूझने के बाद कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
भारतीय फिल्म उद्योग के ‘शेर’ मनोज कुमार जी
फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने इस खबर की पुष्टि करने गए दिग्गज स्टार को श्रद्धांजलि दी। वीडियो बयान में उन्होंने कहा, “महान दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरणास्रोत और भारतीय फिल्म उद्योग के ‘शेर’ मनोज कुमार जी अब नहीं रहे। यह उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है और पूरी फिल्म बिरादरी उन्हें याद करेगी।” भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार अपनी प्रतिष्ठित भूमिकाओं और फिल्मों के लिए जाने जाते थे, जो गहरी देशभक्ति की भावना पैदा करती थीं।
उल्लेखनीय कार्यों में
उनके उल्लेखनीय कार्यों में शहीद (1965), उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), और रोटी कपड़ा और मकान (1974) शामिल हैं, जिनमें से सभी ने हिंदी सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मशहूर अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारतीय सिनेमा का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुख हुआ। वह भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति के जोश के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था मोदी ने कहा कि मनोज कुमार जी की फिल्में राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाती हैं और ये पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
पद्मश्री,दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित
हरिकृष्ण गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई। शहीद, उपकार और रंग दे बसंती जैसी फिल्मों में उनकी प्रतिष्ठित भूमिकाएं भारतीय जनता की देशभक्ति की भावनाओं से गहराई से जुड़ी थीं। अपने पूरे करियर के दौरान, कुमार राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना पर केंद्रित फिल्मों में अपने अभिनय और निर्देशन के लिए जाने जाते रहे।
भारतीय सिनेमा में कुमार के योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और विभिन्न श्रेणियों में सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। भारतीय कला में उनके महान योगदान को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया। उनकी विरासत तब और मजबूत हुई जब उन्हें 2015 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।