नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की अगले वित्तीय वर्ष में 6.3% से 6.8% की दर से वृद्धि की संभावना है। शुक्रवार को संसद में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में घरेलू विकास कारक बाहरी कारकों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार 8% की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी। इसके लिए निवेश दर को 31% से बढ़ाकर 35% तक करना होगा और मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना होगा।
रोजगार और शिक्षा में सुधार जरूरी
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत को हर साल 78.5 लाख नए गैर-कृषि रोजगार उत्पन्न करने होंगे। इसके अलावा, 100% साक्षरता दर हासिल करना, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा व्यवस्था विकसित करना और बेहतर बुनियादी ढांचा तैयार करना आवश्यक होगा।
वैश्विक चुनौतियों का प्रभाव
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने अपने प्रस्तावना में कहा कि दुनिया में व्यापार की धीमी गति भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और फेडरल रिजर्व की नीतियों के कारण विकासशील देशों की मुद्राएं कमजोर हो सकती हैं और सरकारी उधारी लागत बढ़ सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को सौर ऊर्जा के लिए प्रमुख घटकों जैसे कि पोलिसिलिकॉन, इनगॉट्स और वेफर्स के उत्पादन में अपनी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा, घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित करने पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है।
भविष्य की संभावनाएं और जोखिम
सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं। हालांकि, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं, व्यापार संबंधी जोखिम और वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव विकास में बाधा बन सकते हैं। खाद्य महंगाई दर में कमी आने की संभावना है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कृषि उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी और प्रतिकूल मौसम महंगाई को प्रभावित कर सकते हैं।
आर्थिक सुधार और नीति सुझाव
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को नीतिगत सुधारों और नियमों को सरल बनाने पर ध्यान देना होगा। सरकार को नागरिकों और व्यवसायों के लिए आर्थिक गतिविधियों को आसान और लागत प्रभावी बनाना चाहिए। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि भारत को व्यक्तिगत और व्यावसायिक आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाली नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 इस बात पर जोर देता है कि भारत को घरेलू निवेश, नवाचार और बुनियादी ढांचे में सुधार के माध्यम से दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि हासिल करनी होगी। अगर आवश्यक सुधार लागू किए जाते हैं, तो विकसित भारत 2047 का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
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