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Sunday, December 14, 2025

हनुमानगढ़ में एथेनॉल प्लांट को लेकर हिंसा, तनाव बरकरार

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राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में प्रस्तावित एथेनॉल कारखाने को लेकर किसानों का विरोध लगातार उग्र होता जा रहा है। गुरुवार को भी इलाके में तनाव की स्थिति बनी रही, जबकि प्रशासन ने हालात नियंत्रण में रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। बुधवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस ने 100 से अधिक लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है और 40 लोगों को हिरासत में ले लिया है। इन घटनाओं के बाद टिब्बी और राठीखेड़ा क्षेत्र में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।

किसानों और स्थानीय लोगों का विरोध इस हद तक बढ़ गया कि गुरुवार सुबह जब ग्रामीण बैठक के लिए इकट्ठा होने लगे, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद टिब्बी कस्बे के एक गुरुद्वारे में बैठक आयोजित की गई, जहां बड़ी संख्या में किसान और महिलाएं मौजूद रहीं। इसी दौरान पुलिस ने कांग्रेस विधायक रूपिंदर सिंह कुन्नर को भी हिरासत में लिया, जिससे प्रदर्शनकारी और ज्यादा आक्रोशित हो गए।

बुधवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में किसानों की भीड़ राठीखेड़ा में स्थित ‘ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड’ के निर्माणाधीन स्थल पर पहुंच गई थी। भीड़ ने कथित तौर पर प्लांट की चारदीवारी तोड़ दी, कार्यालय में तोड़फोड़ की और परिसर में खड़ी कई गाड़ियों में आग लगा दी। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया। दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प में पुलिस और होमगार्ड के करीब तीन दर्जन जवान घायल हो गए, जबकि प्रदर्शनकारियों में महिलाओं समेत 50 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया को भी सिर में चोट आई, जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अतिरिक्त महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) वी.के. सिंह ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि “यह घटना पूरी तरह अवांछित थी और कुछ बाहरी तत्वों ने स्थानीय लोगों को उकसाया है। पुलिस पर हमला हुआ, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, इसलिए कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है।” उन्होंने पुष्टि की कि 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और आगे भी वीडियो व सबूतों के आधार पर आरोपियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।

घटना के बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं लगातार दूसरे दिन भी बंद रखी गईं ताकि अफवाहें न फैलें और भीड़ न जुटे। तनावपूर्ण माहौल के चलते कारखाने के आसपास के इलाकों से करीब 30 परिवार अपना घर छोड़कर अन्य स्थानों पर चले गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस बल की तैनाती और माहौल में तनाव के कारण वे अपने घरों में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

प्रशासन ने विरोध का नेतृत्व करने वालों के साथ बैठक कर समाधान तलाशने का प्रयास किया है, मगर किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता, वे आंदोलन जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप यह है कि कारखाने को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है और स्थानीय लोगों की सहमति के बिना इसका निर्माण किया जा रहा है। उनका कहना है कि एथेनॉल प्लांट से क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ेगा, जल स्रोतों पर दबाव पड़ेगा और खेती को नुकसान होगा।

इस बीच, जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव ने स्पष्ट किया है कि प्लांट को मंजूरी 2022 में ‘राइजिंग राजस्थान समिट’ के दौरान दी गई थी। उन्होंने बताया कि “जमीन रूपांतरण से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्वीकृति तक सभी जरूरी अनुमतियां प्रोजेक्ट को उपलब्ध कराई गई हैं।” कलेक्टर ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण महापंचायत की अनुमति दी गई थी, लेकिन कुछ लोगों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए प्लांट की ओर मार्च किया और हिंसा फैलाई।

कांग्रेस नेता शबनम गोदारा ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि “किसानों ने सिर्फ इतना मांगा था कि निर्माणकार्य रोकने का लिखित आश्वासन दिया जाए। लेकिन सरकार ने उनकी चिंताओं को दूर करने की जगह उन्हें दबाने का प्रयास किया। रोजगार देने का दावा कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।”

गुरुवार को दिनभर दुकानें खुलीं और स्थिति सामान्य होती दिखी, लेकिन गुरुद्वारे में किसानों का जुटना जारी रहा। कई घायल महिलाएं भी वहीं रहीं। हरियाणा और पंजाब के कई किसान संगठन, माकपा और कांग्रेस इस आंदोलन को खुला समर्थन दे रहे हैं। ‘फैक्टरी हटाओ संघर्ष समिति’ के नेता रवजोत सिंह का कहना है कि “70 से ज्यादा लोग घायल हैं और 100 से अधिक किसान रातभर गुरुद्वारे में रुके। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।”

कंपनी की ओर से कहा गया है कि यह परियोजना केंद्र सरकार के एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम का हिस्सा है, जो ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा। वहीं प्रदर्शनकारी मानते हैं कि उद्योग की आड़ में उनकी भूमि, पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है।

फिलहाल प्रशासन शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है, लेकिन इलाके में तनाव कम होने के आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे। किसानों का आंदोलन जारी है और मामले का समाधान संवाद और विश्वास पर ही निर्भर करेगा।

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