बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है, क्योंकि अगले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में यह बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है—आखिर बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? महागठबंधन और एनडीए, दोनों ही गुटों में इस सवाल को लेकर आंतरिक मंथन और बयानबाज़ी तेज़ हो गई है।
तेजस्वी यादव: महागठबंधन की पहली पसंद
महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। राजद की हालिया बैठकों में यह लगभग तय हो गया है कि अगर गठबंधन को बहुमत मिलता है तो तेजस्वी ही मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे। पार्टी के भीतर भी अधिकतर विधायक और कार्यकर्ता तेजस्वी के नाम पर सहमत नजर आते हैं।
तेजस्वी यादव के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे युवा हैं, आधुनिक सोच रखते हैं और पिछली बार नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्होंने बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। बिहार के युवा मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी है और वे खुद को नीतीश कुमार के विकल्प के रूप में पेश कर चुके हैं।
नीतीश कुमार: NDA का अनुभवी चेहरा
दूसरी ओर, NDA खेमे में जनता दल यूनाइटेड के नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही अगली बार भी चेहरा बनाए जाने की बातें हो रही हैं। जेडीयू के नेता स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि अगर एनडीए चुनाव जीतती है तो नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। नीतीश का अनुभव, प्रशासनिक पकड़ और गठबंधन साधने की कला उन्हें आज भी प्रासंगिक बनाए हुए है।
हालांकि BJP के भीतर से कभी-कभी यह स्वर भी उठता है कि अब पार्टी को अपने दम पर मुख्यमंत्री पद का दावा करना चाहिए। भाजपा के कुछ नेता संकेत दे चुके हैं कि इस बार पार्टी खुद के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा सकती है, लेकिन इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
चिराग पासवान और जीतन राम मांझी का क्या होगा?
बिहार की राजनीति में दो और छोटे लेकिन असरदार नाम भी हैं—लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान और हम (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी। चिराग पासवान भले ही खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं मानते हों, लेकिन वे एनडीए के भीतर एक मजबूत जातीय समीकरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं जीतन राम मांझी ने बार-बार अपने लिए सम्मानजनक सीट बंटवारे की मांग की है और संकेत दिए हैं कि वे सरकार में भागीदारी चाहते हैं।
इन दोनों नेताओं की भूमिका चुनाव बाद की परिस्थिति में किंगमेकर जैसी हो सकती है, अगर कोई भी गठबंधन स्पष्ट बहुमत न ला सके।
कौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में अगला मुख्यमंत्री तय करने में तीन फैक्टर निर्णायक होंगे—जनता की पसंद, गठबंधन का गणित और जातीय समीकरण। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और तेज राजनीतिक सक्रियता उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। वहीं नीतीश कुमार की राजनीतिक परिपक्वता और स्थिर नेतृत्व आज भी एनडीए की पहली पसंद है।
फिलहाल माहौल यही बताता है कि मुकाबला सीधा तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच है। चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि बिहार की सत्ता पर किसका राज होगा—युवाओं की उम्मीद तेजस्वी का, या अनुभव का नाम नीतीश?
राजनीतिक दलों की रणनीतियाँ और गठबंधन की गोटियां आने वाले हफ्तों में और स्पष्ट होंगी, लेकिन एक बात तय है—बिहार की राजनीति में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और अप्रत्याशित होने वाला है।