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Thursday, October 30, 2025

प्रधानमंत्री Modi और उनके मंत्रि मंडल सहयोगियों ने संविधान सदन में Netaji Subhas Chandra Bose को श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्री परिषद के सहयोगियों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए उनके समर्पण और संघर्षों को सम्मानित किया और भारत को एक नई दिशा में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री परिषद के सहयोगियों ने गुरुवार को संविधान सदन मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और अन्य नेताओं ने भी संविधान सदन में नेताजी को पुष्पांजलि अर्पित की। यह आयोजन नेता जी के 128वें जयंती अवसर पर किया गया। जिसे भारतीय जनता ने प्रत्येक वर्ष उत्साह और सम्मान के साथ मनाया है। पीएम मोदी ने वहां मौजूद स्कूली छात्रों से भी बातचीत की।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर नेताजी के योगदान को याद करते हुए उनके अटल संकल्प और स्वतंत्रता संग्राम में उनके महान योगदान को सम्मानित किया। पीएम मोदी ने एक पर एक पोस्ट में कहा, “ आज, पराक्रम दिवस पर, मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देता हूं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान आद्वितीय है।” उन्होंने कहा,“ वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनकी दृष्टि हमें प्रेरित करती है क्योंकि हम उनके द्वारा देखे गए भारत के निर्माण की दिशा में काम करते हैं।” 2021 में, केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस के रूप में नामित किया।

पराक्रम दिवस 2025 के अवसर पर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म स्थान, ऐतिहासिक शहर कटक के बाराबरी किले में 23 जनवरी से 25 जनवरी 2025 तक एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा। यह समझ नेताजी की 128वीं जयंती पर उनकी विरासत का सम्मान करेगा। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन चारण माझी 23.01.2025 को करेंगे।

इस बीच, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत की स्वतंत्रता के लिए उनकी अटूट प्रतिज्ञा और देश के स्वतंत्रता संग्राम पर उनके स्थाई प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक पर पोस्ट किया और कहां, “ मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए असाधारण प्रतिज्ञा दिखाई। उनके इस साहस और करिश्मा ने भारतीयों को औपनिवेशिक शासन के खिलाफ निडर होकर लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी शक्तिशाली व्यक्तित्व का हमारे स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा। राष्ट्र हमेशा नेताजी को अत्यंत कृतज्ञता के साथ याद रखेगा।”

उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ मैं भी स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया। धनखड़ ने ट्वीट कर लिखा, “ निडर नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद करता हूं, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत की आजादी के लिए उनकी अदम्य भावना और अटूट प्रतिबद्धता हम सभी को प्रेरित करती है।” धनखड़ मैं नेताजी के प्रभावशाली शब्दों को उल्लेखित करते हुए कहा, “ तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा,” उन्होंने स्वतंत्रता के लिए एक स्थायी शक्ति पर जोर दिया और स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान किए गए बलिदानों की याद दिलाई।

संविधान सदन में हो रहे कार्यक्रम में अन्य केंद्रीय मंत्री, सांसद और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस अवसर पर संविधान सदन मैं एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें नेताजी के योगदान पर चर्चा की गई और उनके जीवन के अद्भुत पहलुओं को उजागर किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि सुभाष चंद्र बोस का सपना पूरा करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा और उनकी सोच के अनुरूप देश को आगे बढ़ना होगा।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण था, बल्कि उन्हें अपने विचारों और कार्यों से भारतीय समाज को एक नई दिशा भी दी। उनकी प्रेरणा से आज का भारत दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है और वह देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है

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