2008 के मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी Tahawwur Rana ने खुद को India प्रत्यर्पित किए जाने से बचाने के लिए America के सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका दायर की है। राणा का दावा है कि अगर उसे भारत भेजा गया, तो वह जिंदा नहीं बचेगा। उसने अदालत से अपील की कि अगर तत्काल स्टे नहीं दिया गया, तो American जुडिशरी का इस मामले पर कोई अधिकार नहीं रहेगा और उसकी जल्द ही मौत हो जाएगी।
Rana ने अपनी दलीलों में कहा कि वह पाकिस्तानी मूल का मुसलमान है, जो पहले पाकिस्तानी सेना में भी रह चुका है। उसने आशंका जताई कि भारत में उसके साथ बुरा व्यवहार किया जाएगा और उसे प्रताड़ित किया जा सकता है। Rana ने भारत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव किया जाता है।
Rana ने अपनी बिगड़ती सेहत का हवाला देते हुए भी कहा कि उसे कई गंभीर बीमारियां हैं, जिनमें पेट की एक खतरनाक बीमारी, पार्किंसन और संभावित ब्लैडर कैंसर शामिल हैं। उसने कहा कि इस हालत में उसे भारत भेजना ‘मौत के मुंह’ में धकेलने जैसा होगा।
हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की रेकन्सीडरेशन याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनकी सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। ट्रंप ने राणा को “बेहद खतरनाक व्यक्ति” करार दिया था।
गौरतलब है कि Tahawwur Rana पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी है, जिसे 26/11 हमलों की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था। Rana पर आरोप है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम किया और मुंबई हमलों में मदद की। सालों से भारत और अमेरिका के बीच राणा के प्रत्यर्पण को लेकर विवाद चला आ रहा है, लेकिन अब अमेरिका ने उसे भारत भेजने की मंजूरी दे दी है।
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