अब इसरो चांद पर अपने नए लक्ष्यों की तैयारी कर रहा है। रविवार को केंद्र सरकार ने भारत के चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दी है। चंद्रयान-4 के बाद 2028 से 2029 तक चंद्रयान-5 मिशन को लॉन्च किया जा सकता है। हालाँकि, आने वाले चरणों के पूरा होने के बाद इसकी तारीख घोषित की जाएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बंगलूरू में चंद्रयान-3 मिशन का उद्घाटन किया। 23 अगस्त 2023 को, इसके विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित और सफल सॉफ्ट लैंडिंग की। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया, जबकि अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद की सतह पर सुरक्षित लैंड करने वाला चौथा देश बन गया। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर को सफलतापूर्वक तैनात किया गया। 26 अगस्त को, तीन दिन बाद, इस लैंडिंग स्थान को “शिव शक्ति प्वाइंट” नाम दिया गया।
चंद्रयान-2 मिशन का अगला स्टेज था, जो चंद्रमा की सतह पर उतरकर परीक्षण करने के लिए तैयार था। इसमें एक लैंडर और एक रोवर था। चंद्रमा की सतह की तापीय चालकता का अध्ययन करने के लिए विक्रम लैंडर में ChaSTE नामक उपकरण लगाया गया था। साथ ही, उपकरण ने चंद्रमा की सतह पर और नीचे विभिन्न स्थानों पर तापमान में बदलाव को मापा।
ChaSTE उपकरण ने इसरो को चांद के दक्षिणी ध्रुव की महत्वपूर्ण जानकारी दी। विशेष रूप से यहां का तापमान और अंतरिक्ष यात्री वहाँ जाते समय क्या माहौल मिलेगा और वे क्या सामग्री ला सकते हैं इतना ही नहीं, SHAPE पेलोड ने पृथ्वी को दो महीने तक चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले प्लेटफॉर्म से देखा। इसमें कार्बन-डाई-ऑक्साइड, जल वाष्प और ऑक्सीजन हैं, जो एक जीवंत ग्रह का संकेत देते हैं। इसके अलावा, चंद्रयान-3 मिशन ने चांद पर विभिन्न तत्वों की मौजूदगी का पता लगाया।
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) मिलकर चंद्रयान-5 को संचालित करेंगे। LUPEX (लूनर पोलर एक्स्पोरेशन यानी ल्यूपेक्स) मिशन इसका नाम है।