UPSC Topper Shakti Dubey को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। 1976 बैच के पूर्व IPS अधिकारी Dr. Yashovardhan Jha ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए Shakti Dubey के अटेम्प्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि क्या बार-बार एक ही परीक्षा देने से युवाओं का समय, ऊर्जा और जीवन बर्बाद नहीं होता?
Prayagraj के रहने वाले Shakti Dubey ने पांचवें प्रयास में UPSC परीक्षा में टॉप किया है। उन्होंने साल 2018 में इसकी तैयारी शुरू की थी और अब जाकर उन्हें पहली रैंक मिली है। लेकिन इस पर पूर्व IPS झा ने लिखा कि UPSC की कठिन प्रतिस्पर्धा और कोचिंग कल्चर युवाओं को मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ देता है। उन्होंने कहा कि लाखों युवा इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन बहुत कम को ही सफलता मिलती है।
Congratulations to Shikha Dubey, ranking first in UPSC result. But 5 attempt means 6 years of toil – the best years of youth gone in coaching? There were 5 lakhs who tried and keep trying. Should we subject our precious youth to waste years & years on an exam. In these years,…
— Yashovardhan Jha Azad (@yashoazad) April 23, 2025
दिलचस्प बात यह रही कि झा ने अपने पोस्ट में Shakti का नाम ‘Shikha Dubey’ लिख दिया। हालांकि उन्होंने उन्हें बधाई भी दी है लेकिन साथ ही यह भी तर्क दिया कि इतनी बार कोशिश करना युवा वर्ग को भ्रम और दबाव में डालता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या एक ही सपना सालों तक पीछा करना समझदारी है?
Dr. Yashovardhan झा खुद एक अनुभवी और प्रतिष्ठित अफसर रहे हैं। वे Former Prime Minister Bhagwat Jha आजाद के पुत्र हैं और Pakistan-Bangladesh जैसे देशों में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर भी काम कर चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद वे केंद्रीय सूचना आयुक्त के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं।
उनके इस बयान से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ Shakti Dubey की मेहनत को सराहते हुए झा की टिप्पणी को अनुचित बता रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि एक ही परीक्षा में बार-बार प्रयास करना सही है या ये युवाओं की ऊर्जा की बर्बादी है?
